बाघ के हत्यारोपित बने जंगल के रहनुमा
- दोषी थे तो किसकी कृपा ²ष्टि से मिली तैनाती यदि नहीं तो क्यों भेजा जेल
लखीमपुर : बाघ हत्या मामले के नामजद आरोपी जंगल एवं वन्यजीवों के रहनुमा बने हुए हैं। जिससे महकमे के जिम्मेदार अधिकारी सवालों के घेरे में हैं। 27 मार्च 2019 को महेशपुर रेंज में जंगल के बॉर्डर पर ग्राम शिवपुरी के पास तार के जाल में फंसे एक बाघ की तड़प-तड़प कर मौत हो गई थी। मौके पर पहुंची लखनऊ से आई रेस्क्यू टीम भी उसे बचा नहीं सकी। इस संवेदनशील मामले में अधिकारियों एवं विशेषज्ञों की जांच के बाद वाच मैन लालाराम निवासी शिवपुरी, विश्राम व उसके पुत्र निवासी अयोध्यापुर व फार्मर निवासी शिवपुरी के परिवार के लोगों समेत कुल आठ नामजदों में से सात को जेल भेज दिया था। इसके बाद विवेचना के दौरान दो लोग और नामित किए गए। अब सातों आरोपी बाहर हैं। आरोप है कि हत्यारोपित रहे वाचमैन लालाराम को फिर से जंगल में रखवाली पर लगा दिया गया है। इतना ही नहीं दूसरे हत्यारोपित रहे विश्राम को भी जंगल की रखवाली में लगा दिया गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि दागदार छवि के लोगों को आखिर किस मजबूरी में निगरानी के काम में लगा दिया गया, या फिर दागदार नहीं थे तो इनको किसकी गर्दन बचाने के लिए जेल भेजा गया।
एसडीओ रविशंकर शुक्ला ने दागदार लोगों के काम करने पर कहाकि ऐसा मामला संज्ञान में नहीं है यदि ऐसा कुछ होगा तो संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।