स्वतंत्र लेखन ने दिलाया सुरेश सौरभ को देशभर में सम्मान
जिले के युवा साहित्यकारों में सुरेश सौरभ का नाम खास है।
लखीमपुर : जिले के युवा साहित्यकारों में सुरेश सौरभ का नाम खास है। निर्धनता और अभाव में पले बढ़े सुरेश सौरभ किसी भी घटना या तथ्य पर सिर्फ पांच मिनट में एक लघु कथा लिखने की महारत रखते हैं। आर्थिक तंगी में भी संघर्षों को पीठ न दिखाने वाले सुरेश सौरभ की कई पुस्तकें भी छप चुकी हैं। कई बड़े-बड़े सम्मानों से भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका है।
शहर के मुहल्ला निर्मल नगर में रहने वाले सुरेश सौरभ विकास खंड फूलबेहड़ के एक निजी डिग्री कालेज में प्राध्यापक हैं।
14 वर्ष की उम्र से लेखन में सक्रिय सुरेश सौरभ के पिता श्रमिक थे। माता कमला देवी ग्रहणी हैं। 41 वर्षीय सुरेश सौरभ का वास्तविक नाम तो सुरेश कुमार है, लेकिन लेखन क्षेत्र में वह सुरेश सौरभ के नाम से जाने जाते हैं। निर्धनता और अभाव में ट्यूशन पढ़ाकर निजी विद्यालयों में किसी तरह शिक्षण कार्य करके पहले स्नातक की परीक्षा संस्कृत विषय से पास की। इसके बाद बीकाम और फिर जिले के सबसे नामी गिरामी डिग्री कालेज युवराज दत्त महाविद्यालय से हिदी से एमए करने के बाद लखनऊ से यूजीसी नेट की परीक्षा भी पास की। परिवार में पत्नी अंजू बेटी कृति के साथ वे आज भी अपने स्वतंत्र लेखन का कार्य करते रहते हैं।
अनेक दैनिक मासिक पाक्षिक अखबारों में जहां उनकी सैकड़ों लघुकथाएं छपी हैं वहीं उनकी बाल कथाएं व्यंग लेख कविताएं समीक्षाएं देश की अनेक नामी पत्र-पत्रिकाओं में भी छप चुके हैं। यूट्यूब चैनलों और इंटरनेट मीडिया में लघुकथाओं व हास्य-व्यंग्य लेखों की व्यापक चर्चा है। एक लघुकथा कबाड़ी पर शार्ट फिल्म का निर्माण हो चुका है।
मंचों से रचनापाठ व आकाशवाणी लखनऊ से रचनापाठ कई बार कर चुके हैं जबकि कुछ लघुकथाओं का उड़िया अंग्रेजी, पंजाबी आदि भाषाओं में अनुवाद भी हो चुका है।
ये हैं प्रकाशित पुस्तकें
सुरेश की प्रकाशित पुस्तकों में एक कवयित्री की प्रेमकथा (उपन्यास) नोट 'बंदी',तीस-पैंतीस, वर्चुअल रैली (लघुकथा संग्रह) अमिताभ हमारे बाप (हास्य-व्यंग्य) नंदू सुधर गया, पक्की दोस्ती (बाल कहानी संग्रह), निर्भया(कविता संग्रह), संपादन- 100 कवि, 51 कवि, काव्य मंजरी, खीरी जिले के कवि, तालाबंदी, माउंटेन मैन (संपादित ग्रंथ), भारतीय साहित्य विश्वकोश में 41 लघुकथाएं शामिल हैं। वैसे तो सुरेश सौरव को अब तक मिले सम्मानों की फेहरिस्त काफी लंबी है, लेकिन इनमें प्रमुख रूप से अंतरराष्ट्रीय संस्था भाखा, भाऊराव देवरस सेवा न्यास द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर प्रताप नारायण मिश्र युवा सम्मान, हिदी साहित्य परिषद् सीतापुर द्वारा लक्ष्य लेखिनी सम्मान प्रमुख हैं। शहर की सौजन्या, महादलित परिसंघ, परिवर्तन फाउंडेशन सहित कई प्रसिद्ध संस्थाओं द्वारा भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका है।