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वनस्पतियों के हिसाब से हो पौधों का चयन

तराई इलाके में प्रभावी पौधारोपण के लिए जरूरी है कि यहां की वनस्पतियों के हिसाब से ही पौधों का चयन हो। पर्यावरणविदों का मानना है कि इसके लिए ठोस कार्ययोजना बने। पौधों को प्राकृतिक रूप से उगने दिया जाए।

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Jul 2020 11:16 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 11:16 PM (IST)
वनस्पतियों के हिसाब से हो पौधों का चयन
वनस्पतियों के हिसाब से हो पौधों का चयन

लखीमपुर: तराई इलाके में प्रभावी पौधारोपण के लिए जरूरी है कि यहां की वनस्पतियों के हिसाब से ही पौधों का चयन हो। पर्यावरणविदों का मानना है कि इसके लिए ठोस कार्ययोजना बने, जिसमें पौधों की सुरक्षा को लेकर विशेष कार्य कराए जाएं। रोपण से ज्यादा जरूरी है कि पौधों को प्राकृतिक रूप से उगने दिया जाए.. रोपण में पौधों का चयन सबसे जरूरी वनस्पतियों के हिसाब से पौधों का चयन हो। बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में औषधीय वृक्ष अर्जुन, जामुन, जंगल जलेबी आदि के पौधे लगाएं। ध्यान रहे पौधे का तना सीधा और निचला हिस्सा डेढ़ इंच जमीन में हो। मिट्टी को अच्छी तरह दबा दें। समय पर सिचाई करें।

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अशोक कश्यप, पूर्व रेंज अफसर दिखावटी नहीं, प्राकृतिक रूप से उगें पौधे मेरी नजर में तो पौधारोपण कराना ही नहीं चाहिए। जमीन को खुला छोड़ दें, पक्षी एक जगह से बीज उठाकर दूसरे जगह डालते हैं। प्राकृतिक रूप से उगे पौधे ही स्थायी और प्रभावी हैं। जब तक खाली जमीन नहीं छोड़ेंगे तब तक पर्यावरण बचाना मुश्किल है।

केके मिश्र, दुधवा लाइव पोर्टल के संस्थापक रोपण के साथ पौधों की सुरक्षा भी जरूरी गड्ढे की खुदाई और रोपाई समय से हो। जुलाई माह में नमी रहती है, इसलिए यह समय उपयुक्त है। सुरक्षा के लिए फेंसिग जरूर कराएं। ताकि पालतू जानवर चरने न पाएं। पौधों की परवरिश के लिए समय-समय पर खाद व पानी दिया जाना चाहिए।

डॉ. वीके सिंह, सचिव तराई नेचर कंजरवेशन सोसायटी


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