दिल के अरमां आसुओं में बह गए, ओयल स्टेशन बना केवल हॉल्ट
कस्बे के व्यापारियों ने ओयल रेलवे स्टेशन बरकरार रखने की बात रखी। सांसद ने विश्वास दिलाया था कि मेरे होते हुए ओयल स्टेशन बंद नहीं होगा लेकिन स्टेशन पर ओयल हाल्ट का बोर्ड खड़ा हो गया। रेल का सिगल ट्रैक बनने के बाद अब उम्मीदें लगभग समाप्त हो चुकी हैं जनता में इसको लेकर काफी नाराजगी भी है। व्यापारी मुनेश कुमार का कहना था सभी लोग जानते हैं कि ओयल में आज भी पीतल के बर्तन का व्यवसाय चलता है। इतना बड़ा अस्पताल बन रहा है जहां काफी दूर-दूर से मरीज भी आएंगे। व्यापारी दुकानदार विमल शुक्ला का कहना था कि ऊपर से लेकर नीचे तक भाजपा ही तो थी फिर भी ओयल रेल स्टेशन न बच पाना निदनीय है। दुकानदार नवरत्न सिंह का कहना है कि कहां चूक हो गई पता नहीं। बर्तन बनाने के लिए कच्चा माल कानपुर व मुरादाबाद से ट्रेन से आता था व उनसे बने बर्तन गोला मैलानी पीलीभीत पूरनपुर खटीमा टनकपुर किच्छा बहराइच लखनऊ तक जाया करते थे।
लखीमपुर: अमान परिवर्तन के चलते लखनऊ-लखीमपुर रेल मार्ग पर ब्राडगेज का कार्य लगभग अंतिम चरण में चल रहा है। लखनऊ से आने जाने वाले यात्रियों को जहां काफी सहूलियत मिल जाएगी, वहीं दूसरी ओर लखीमपुर से 12 किमी की दूरी पर स्थित कस्बा ओयल जोकि जिला खीरी क्षेत्र में अपनी अलग पहचान रखता है। ओयल कभी पीतल नगरी के रुप मे मशहूर था। यहां के कारीगरों द्वारा निर्मित पीतल के बर्तन काफी दूर-दूर तक प्रसिद्ध थे। यहां पर प्राचीन व ऐतिहासिक मेढक मंदिर भी स्थित है। अब कस्बे में ही भारत सरकार के द्वारा ट्रामा सेंटर बनकर तैयार है व 200 बेड का बाल एवं महिला चिकित्सालय का कार्य अपने अंतिम चरण में है, लेकिन ब्राडगेज निर्माण में ओयल का रेल अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया। जिसको लेकर जनता में काफी रोष व्याप्त है।
भाजपा से खीरी सांसद अजय मिश्रा टेनी के समक्ष कस्बे के व्यापारियों ने ओयल रेलवे स्टेशन बरकरार रखने की बात रखी। सांसद ने विश्वास दिलाया था कि मेरे होते हुए ओयल स्टेशन बंद नहीं होगा, लेकिन स्टेशन पर ओयल हाल्ट का बोर्ड खड़ा हो गया। रेल का सिगल ट्रैक बनने के बाद अब उम्मीदें लगभग समाप्त हो चुकी हैं, जनता में इसको लेकर काफी नाराजगी भी है। व्यापारी मुनेश कुमार का कहना था सभी लोग जानते हैं कि ओयल में आज भी पीतल के बर्तन का व्यवसाय चलता है। इतना बड़ा अस्पताल बन रहा है, जहां काफी दूर-दूर से मरीज भी आएंगे। व्यापारी दुकानदार विमल शुक्ला का कहना था कि ऊपर से लेकर नीचे तक भाजपा ही तो थी फिर भी ओयल रेल स्टेशन न बच पाना निदनीय है। दुकानदार नवरत्न सिंह का कहना है कि कहां चूक हो गई, पता नहीं। बर्तन बनाने के लिए कच्चा माल कानपुर व मुरादाबाद से ट्रेन से आता था व उनसे बने बर्तन गोला, मैलानी, पीलीभीत, पूरनपुर, खटीमा, टनकपुर, किच्छा, बहराइच, लखनऊ तक जाया करते थे।