मांगी नाव न केवट आना . . . . . .
सातवें दिन राम केवट संवाद के महत्वपूर्ण प्रसंगों को पाठ करते हुए श्री रामलीला का मंचन कराया गया।
लखीमपुर : मांगी नाव न केवट आना, कहइ तुम्हार मरम मैं जाना। श्रीराम वन जाने के लिए जब गंगा पार करना चाहते हैं तो केवट पैर धोने का आग्रह करता है। इसके लिए पहले वह नाव देने से मना करता है और कहता है कि जब आपके चरणों से पत्थर की शिला नारी बन बन गई तो यह तो लकड़ी की नाव है। यह तो कभी भी नारी बन सकती है। केवट से काफी देर वाद विवाद के बाद वह तैयार हो जाता है और भगवान के चरण धोकर उन्हें गंगा पार उतारता है।
सातवें दिन राम केवट संवाद के महत्वपूर्ण प्रसंगों को पाठ करते हुए श्री रामलीला का मंचन कराया गया। इस दौरान सेठ परिवार के सर्वराहकार विपुल सेठ के साथ किशन सेठ, अभिषेक सेठ समेत अनेक लोग मौजूद रहे। पंडित शुभम दीक्षित ने राम, केवट संवाद में दोनों तरफ के कलाकारों को सुव्यवस्थित ढंग से लीला का संचालन करवाया। भगवान राम, केवट को उतराई देना चाहते हैं, परंतु केवट उनसे विनय करते हैं कि आप भवसागर के मल्लाह हैं और मैं इस नदी का मल्लाह हूं। जब कभी मैं आपके द्वार आऊं तो आप मुझे पार उतार देना। यह अद्भुत प्रसंग का मंचन देखने के लिए मथुरा भवन में काफी लोग इकट्ठा रहे।