पारवो वायरस का पालतू कुत्तों पर संकट
बदलते मौसम में पारे के उतार-चढ़ाव का असर पालतू कुत्तों की सेहत पर दिखाई दे रहा है।
लखीमपुर :बदलते मौसम में पारे के उतार-चढ़ाव का असर पालतू कुत्तों की सेहत पर दिखाई दे रहा है। इस बार शहर के देशी प्रजाति पर कैनाइन पारवो वायरस का आक्रमण हो चुका है। पारवो वायरस नामक रोग पालतू कुत्तों कहर बनकर बरपा है। इस रोग की चपेट में आकर कुत्तों की लगातार मौत हो रही है।
प्रतिदिन 25 कुत्ते पहुंच रहे इलाज के लिए
सदर पशु चिकित्सालय पर इन दिनों औसतन 25 कुत्ते रोजाना पहुंच रहे हैं। वायरस कुत्तों में सात दिनों तक सक्रिय रहता है। यह रोग विदेशी कुत्तों में होता है। इस बार यह रोग देसी कुत्तों में एक फैल रहा है। कुत्तों का टीकाकरण हो चुका है उनमें यह रोग कम होता है। इलाज से 70 फीसद कुत्तों को बचाया जा सकता है।
टीकाकरण की हिदायत दी
पशु चिकित्सकों ने कुत्ता पालकों को टीकाकरण कराने की हिदायत दी है, ताकि इस रोग से कुत्तों को बचाया जा सके। मौसम में उतार चढ़ाव से जिले में पारवो वायरस रोग सक्रिय हो गया है। पशु चिकित्साधिकारी डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि यह वायरस कुत्तों में सात दिन तक सक्रिय रहता है।
किस उम्र में लगते हैं टीके
यदि आप कुत्ते का बच्चा पालना चाहते हैं तो उसे 35 दिन की आयु होने पर पहला टीका अवश्य लगवा दें। 45-60 दिन के बीच दूसरा टीका, 75-90 दिन के बीच तीसरा टीका, 120 दिन का होने पर चौथा टीका और उसके बाद हर साल कुत्ते को टीका लगवाया जाना चाहिए। क्या है पारवो वायरस?
इसकी चपेट में आते ही कुत्तों को उल्टी और खूनी दस्त शुरू हो जाते हैं। वह खाना पीना छोड़ देते हैं। इसके पीछे समय से टीकाकरण न होना मुख्य कारण है। यह वायरस श्वान के शरीर में सात दिन तक सक्रिय रहता है। यह वायरस दो-तीन महीने के श्वानों के बच्चों पर ज्यादा निशाना बनाता है। पशु चिकित्सक ने बताया कि यह वायरस कुछ प्रजातियों पर ज्यादा घातक है, इनमें रोटवीलर, पग और हस्की शामिल है। यह संक्रमण जिस घर में एक से ज्यादा कुत्ते हैं, वहां ज्यादा है। इसमें खांसते हैं, इसके इलाज के लिए दवाओं के साथ ही टीकाकरण भी बेहद जरूरी है।