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आदिवासियों का सपना रह गया राजकीय जनजाति पुस्तकालय

चंदनचौकी (लखीमपुर) थारू आदिवासी जनजाति के लोगों को मुख्य धारा में लाने के उद्देश्य से बनाया गय

By JagranEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 09:12 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 09:12 PM (IST)
आदिवासियों का सपना रह गया राजकीय जनजाति पुस्तकालय
आदिवासियों का सपना रह गया राजकीय जनजाति पुस्तकालय

चंदनचौकी (लखीमपुर) : थारू आदिवासी जनजाति के लोगों को मुख्य धारा में लाने के उद्देश्य से बनाया गया चंदनचौकी के ग्राम पुरैना में राजकीय जनजाति पुस्तकालय महज सपना बनकर रह गया। उम्मीद थी 2021 में इसका लाभ जनजाति के लोगों को मिलने लगेगा लेकिन ऐसा हो न सका। थारू समाज को 2022 में भी पुस्तकालय शुरू होने की आशा कम ही नजर आ रही है। उनका कहना है कि तीन साल से यही सुनते चले आ रहे हैं। पुस्तकालय को चलाने के लिए दी गईं पुस्तकों का लेखा जोखा रखने को एक कर्मचारी रखा जाएगा। हर तरह की ज्ञानवर्धक किताबें पुस्तकालय में आ चुकी हैं। जिसकी सहायता से थारू बच्चे अच्छे कंपटीशन की तैयारी कर सकते हैं। प्रदेश निगरानी समिति के सदस्य शारदा प्रसाद राना ने बताया पिछले तीन साल से यही सुनते आ रहे कि 15 दिन में पुस्तकालय आरंभ कर दिया जाएगा और यहां और बाहर पढ़ने वाले जब छुट्टी पर आएंगे तो वे पुस्तकालय में आकर कंपटीशन की तैयारी कर सकते हैं। उसकी सारी व्यवस्था रहेगी। पुरैना के शंकर चौधरी का कहना है कि मोय नाय लगत हय जाने कबहूं जामे पढ़न वालन के काम आइहे, खाली ऐसन ही लवारी (झूठ बोलना) देत हैं। इसी तरह कंपटीशन तैयारी कर रही ग्राम सूरमा की सावित्री राना व 11वीं की दिव्या राना और ग्राम भूड़ा की 12वीं की छात्रा सरोजनी कहती है कि हमें कंपटीशन के लिए किताबें लखीमपुर लखनऊ से मंगानी पड़ती हैं। यदि पुस्तकालय शुरू कर दिया जाता तो ये सुविधा घर पर ही मिल सकती थी। हम लोग पिछले तीन चार साल से सुन रही हैं पुस्तकालय 15 दिन में चालू कर दिया जाएगा पर हो नहीं पा रहा है।

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क्या कहते हैं जिम्मेदार

परियोजना अधिकारी यूके सिंह ने बताया कि पुस्तकालय में पुस्तकों से लेकर उसकी साज सज्जा व पेयजल आदि की व्यवस्था हो चुकी है। बिजली कनेक्शन होना शेष है, उसे चालू करने के लिए प्रयासरत हैं। संभवता इसी माह के अंत तक आदिवासी जनजाति के बच्चों को अपनी पढ़ाई व कंपटीशन की तैयारी करने के लिए सुविधा मिल जाएगी।


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