नदियों-जंगलों से घिरा पलिया मांग रहा विकास
हरे-भरे जंगलों और नदियों से घिरा 137 विधानसभा सीट पलिया हर साल आने वाली बाढ़ से त्रस्त है।
लखीमपुर: हरे-भरे जंगलों और नदियों से घिरा 137 विधानसभा सीट पलिया हर साल आने वाली बाढ़ से त्रस्त है। बाढ़ से निपटने के लिए कोई कार्ययोजना जमीन पर नहीं उतारी गई। यहां मतदाताओं को आज भी विकास की दरकार है। दुधवा पार्क से निकलने वाले हिसक वन्यजीव काल बनकर उन पर टूटते हैं। हर वर्ष औसतन आठ से 10 ग्रामीण वन्यजीवों का शिकार बनते हैं। आवागमन के लिए भी यहां पर्याप्त संसाधनों का अभाव है। वर्षों से मैलानी-नानपारा रेल प्रखंड के आमान परिवर्तन पर चर्चा होती है, लेकिन अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं हो सका है। जिला मुख्यालय से 90 किलोमीटर दूर स्थित पलिया क्षेत्र सबसे ज्यादा संसाधनों के अभाव से जूझ रहा है।
पलिया विधानसभा सीट का अस्तित्व 2012 में सामने आया। परिसीमन के बाद निघासन विधानसभा से अलग हुए क्षेत्र में गोला विधानसभा का बांकेगंज इलाके को मिलाकर इसका गठन किया गया। पलिया विधानसभा सीट के अस्तित्व में आने के बाद 2012 में पहला चुनाव हुआ, जिसमें बसपा प्रत्याशी के तौर पर हरविदर साहनी उर्फ रोमी साहनी ने विजय हासिल की थी। उन्होंने 55460 वोट पाकर सपा प्रत्याशी कृष्ण गोपाल पटेल 49541 को 5919 वोट से हराया। इसके बाद 2017 के चुनाव में विधायक रोमी साहनी ने पाला बदल लिया और भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े। इस साल भी रोमी साहनी ने बाजी मारी और कांग्रेस प्रत्याशी सैफ अली नकवी को 69228 मतों से शिकस्त दी। रोमी साहनी को 118069 मत मिले थे, जो मतदान का 50.94 प्रतिशत था। सैफ अली नकवी को कुल 48841 मत मिले थे। उन्हें मतदान का 21.08 फीसद वोट मिला था। इस चुनाव में कुल 231799 मत पड़े थे और मतदान प्रतिशत 68.02 रहा था। बांकेगंज में सबसे ज्यादा व कम वोट पड़े
वर्ष 2017 के चुनाव में बांकेगंज के ऊंचागांव मतदेय स्थल पर सर्वाधिक 87.13 प्रतिशत वोट पड़ा था। यहां पर कुल 536 मतदाता थे, जिसमें से 467 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। खास बात यह है कि बांकेगंज इलाके के भरिगवां बूथ पर सबसे कम मतदान भी हुआ था। यहां पर 1132 वोट थे, जिसमें से मात्र 448 लोगों ने मतदान किया था। 2022 के आने वाले चुनाव में यहां पर मतदान प्रतिशत बढ़ाने की कवायद की जा रही है। यहां के मतदाताओं को जागरूक किया जा रहा है। साथ ही सभी राजनैतिक दलों से मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक मतदान कराने की अपील भी की गई है। भरिगवां के प्रधान डालचंद का कहना है कि 2017 के चुनाव में गांव के अधिकतर युवा परिवार समेत बाहर काम करने चले गए थे। इसलिए उनके वोट नहीं पड़ सके थे, लिहाजा मतदान प्रतिशत कम रहा था। पूर्व प्रधान श्रीचंद्र का कहना है कि चुनाव में पंचायत घर में बूथ बना था, जो एक व्यक्ति विशेष के अंडर में था। इसलिए लोगों ने वोट नहीं डाला था। ऊंचागांव के खुशीराम का कहना है कि उनके यहां सर्वाधिक मतदान इसलिए हो पाया था कि उन लोगों ने मतदान के लिए पांच-पांच लोगों की टोली बनाकर लोगों को मतदान के लिए प्रेरित किया। इस चुनाव में भी टोलियों के जरिए लोगों को जगरूक किया जाएगा। चुनाव में प्रभावी होने वाले मुद्दे
पलिया विधानसभा का आधे से ज्यादा इलाका बाढ़ प्रभावित है। बाढ़ से बचाव के लिए अब तक कोई प्रभावशाली कदम नहीं उठाया गया है। न तो कोई योजना बनाई गई और न ही कोई बजट मिला। यहां की संस्था रामलीला कमेटी व होप ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर करके बाढ़ नियंत्रण के उपाय किए जाने की मांग की थी। जिस पर कोर्ट ने गंगा फ्लड कंट्रोल कमीशन पटना को बाढ़ से बचाव की कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए थे, लेकिन उसके बाद मामला ठंडा हो गया। राजनीतिक स्तर पर कोई न प्रयास किया गया और न ही कोई सुनवाई हुई। इसके अलावा मैलानी-नानापारा रेल प्रखंड के आमान परिवर्तन का मुद्दा भी यहां के विकास के लिए जरुरी माना जाता है। पलिया विधानसभा के आंकड़े
कुल मतदाता 360111
पुरुष मतदाता 190640
महिला मतदाता 169460
अन्य मतदाता 11
नए बढ़े मतदाता 14067