राजनीति बनी मौत का कारण
मजदूरी कर परिवार पालने वाले दिव्यांग की हत्या के बाद गांव में तमाम चर्चाओं का बाजार गर्म रहा।
लखीमपुर: मजदूरी कर परिवार पालने वाले दिव्यांग की हत्या के बाद गांव में तमाम चर्चाओं का बाजार गर्म है। कोई राजनीति तो कोई रंजिशन हत्या की बात कर रहा है। नईम की मौत के बाद उसकी पत्नी साईबा बेसुध हो गई। परिवार में मातम छाया हुआ है। घर में निर्माण कार्य चल रहा था। जिसके लिए सरिया आदि सामान लगातार आ रहा था। नईम के पुत्र फहीम (10), आफरीन (08), फरीन (05) व फलक (03) का रो-रोकर बुरा हाल है। बाप का साया सिर से उठ जाने के बाद उनकी परवरिश की समस्या भी पैदा हो गई। साईबा बार-बार कह रही थी कि आखिर उसके पति का क्या दोष था? क्यों उसकी बेरहमी से हत्या कर दी गई? वह तो जैसे तैसे मजदूरी करके घर का खाना खर्च चला रहे थे। उनकी मौत के बाद अब कौन सहारा बनेगा। चुनाव ने हमारा घर बर्बाद कर दिया । हत्याकांड के बाद कई मीटर तक सड़क पर बिखरी खून की छींटे वारदात की भयावहता को बयां करती दिखी । पुलिस की लापरवाही भी हुई उजागर
वारदात की सूचना के लगभग दो घंटे बाद एसएचओ पसगवां गांव पहुंचे। गांव में पहुंचकर हत्याकांड की जानकारी जुटाने के बाद भी वह मीडिया को गुमराह करते दिखे। मीडिया के द्वारा घटना की जानकारी करने पर पहले उन्होंने बताया कि लाठी-डंडों से मारपीट की सूचना मिली है बाकी बाद में बताएंगे। एक रोज पहले भी प्रधान पद पर जीत के बाद जुलूस निकालकर हर्ष फायरिग के मामले को भी डालते रहे थे। निर्मम हत्याकांड की गवाह बनी सड़क
हत्याकांड की वारदात को अंजाम देने में आरोपितों ने जिस तरह से निर्ममता दिखाई घटनास्थल से लेकर मृतक के घर को जाने वाली सड़क उसकी गवाही खुद देती दिखी। दिव्यांग नईम के शरीर से गिरती खून की बूंदे लगभग 100 मीटर के तक जाने बचाने के लिए लगाई गई उसकी दौड़ को दिखा रही है । पूरी सड़क पर मृतक का खून बिखरा पड़ा है । हत्याकांड को अंजाम देने के दौरान गली में सन्नाटा पसर गया था । गांव की गलियों में लोग दहशत में आ गए । घटना के संबंध में खौफ इस कदर था कि कोई भी कुछ बताने या बोलने को तैयार नहीं ।