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फिर 'राजगढ़' में कायम रहेगा विधायकी का जलवा

लगातार 25 साल से राजगढ़ में ही रही विधायकी इस चुनाव में दो प्रत्याशी भाजपा के टिकट पर आजमा रहे हैं किस्मत सपा से पूर्व विधायक हैं दावेदार।

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Jan 2022 09:26 PM (IST)Updated: Sun, 23 Jan 2022 09:26 PM (IST)
फिर 'राजगढ़' में कायम रहेगा विधायकी का जलवा
फिर 'राजगढ़' में कायम रहेगा विधायकी का जलवा

श्वेतांक शंकर उपाध्याय, लखीमपुर : शहर के बीचोंबीच बसा मुहल्ला राजगढ़। वैसे तो हर मुहल्ले की तरह ही राजगढ़ की भी अपनी पहचान है, लेकिन एक चीज राजगढ़ को सबसे अलग रखती है। वह है इस मुहल्ले में विधायकी का जलवा। वर्ष 1996 से अब तक सदर सीट की विधायकी इसी मुहल्ले में रही है।

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वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भी इसी मुहल्ले के डंका बजने वाला है। कारण यह कि भाजपा ने राजगढ़ में रहने योगेश वर्मा (2017 से 2022) पर एक बार फिर अपना भरोसा जताया। भाजपा कुनबे को अलग करें तो मुख्य प्रतिद्वंद्वी मानी जा रही सपा का भरोसा भी राजगढ़ के कौशल किशोर वर्मा पर रहा है। वर्ष 1996 में पहली बार कौशल किशोर सपा के टिकट पर विधायक बने। इसके बाद से लगातार वह चुनाव मैदान में विरोधियों को पछाड़ते रहे हैं। वर्ष 2009 में तीन बार विधायक चुने गए कौशल किशोर के निधन के बाद उपचुनाव हुआ। जिसमें उनके पोते उत्कर्ष वर्मा ने जीत हासिल कर राजगढ़ का गौरव बरकरार रखा। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी के रूप में उत्कर्ष मैदान में उतरे और 81 हजार मत पाकर विरोधियों को पछाड़ा। उत्कर्ष की जीत के साथ ही पांच साल तक विधायकी फिर से राजगढ़ के खाते में चली गई। वर्ष 2017 का विधानसभा चुनाव आया तो सपा ने राजगढ़ के उत्कर्ष और भाजपा ने भी इसी मुहल्ले के योगेश वर्मा पर भरोसा जताया। चुनाव परिणाम आए तो 1.20 लाख वोट पाकर योगेश विधायक बन गए और 84 हजार वोट पाकर उत्कर्ष दूसरे नंबर पर रहे। योगेश की जीत के साथ ही सदर सीट राजगढ़ का कब्जा बरकरार रहा। इस बार भी राजगढ़ से विधायक बनने के लिए तीन दावेदार चुनाव मैदान में हैं। योगेश के साथ ही भाजपा का धौरहरा विधानसभा सीट से चेहरा विनोद शंकर अवस्थी भी राजगढ़ के ही बाशिदे हैं। दोनों प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतरकर ताल ठोक रहे हैं। सदर सीट पर भाजपा के घोषित प्रत्याशी और सपा से टिकट मांग रहे पूर्व विधायक उत्कर्ष वर्मा के बीच मुकाबला तय माना जा रहा। इसमें जीत-हार किसकी होगी यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन यह तय है कि जीत का सेहरा राजगढ़ के ही सिर बंधेगा।


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