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फरियादी के लिए लखीमपुर DM बने श्रीकृष्ण, नहलाकर नये कपड़े पहनाये-खाना भी खिलाया

जनता दर्शन में फरियाद लेकर पहुंचे व्यक्ति की दीन-हीन दशा देखकर हुए भावुक।

By Edited By: Published: Tue, 25 Sep 2018 11:51 PM (IST)Updated: Wed, 26 Sep 2018 12:12 PM (IST)
फरियादी के लिए लखीमपुर DM बने श्रीकृष्ण, नहलाकर नये कपड़े पहनाये-खाना भी खिलाया
फरियादी के लिए लखीमपुर DM बने श्रीकृष्ण, नहलाकर नये कपड़े पहनाये-खाना भी खिलाया

लखीमपुर(जेएनएन)। कलेक्ट्रेट में मंगलवार दोपहर जिलाधिकारी शैलेंद्र सिंह ने जनता दरबार लगाकर फरियादियों की समस्याएं सुन रहे थे। तभी दीन-हीन दशा में एक फरियादी उनके पास पहुंचा और बोला..साहब हमारे सेठ ने 11 महीने से पगार नहीं दी है। इतना बोलते ही डीएम ने पूरा माजरा समझ उसे सीने से लगा लिया। इसके बाद अपने साथ घर ले गए और उसे स्नान कराकर नये कपड़े पहनवाये। भर पेट भोजन भी करवाया। इसके बाद उसकी फरियाद सुनकर अधिकारियों को निर्देश दिया। 

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ये है पूरा मामला
जिलाधिकारी डीएम शैलेंद्र कुमार सिंह अन्य फरियादियों के साथ पीडि़तों की समस्याएं कलेक्ट्रेट स्थित कार्यालय में मंगलवार की दोपहर सुन रहे थे। उसी वक्त बड़ी-बड़ी दाढ़ी, दुबला पतला एक युवक उनके ऑफिस में दाखिल हुआ। जिलाधिकारी शैलेंद्र ङ्क्षसह को एक कागज का टुकड़ा बढ़ाते हुए उसने कहा कि हमें हमारे सेठ ने 11 महीने से पगार नहीं दी है। वह यह बात पूरी बोल भी नहीं पाया था कि ऐसा लगा कि उसकी जुबान ही पलट गई। यह देखकर डीएम ने आगे की बात समझने में कोई देर नहीं लगाई और उसे उसके वैसे ही वस्त्रों में सीने से लगा लिया। उसके बाद उसे अपनी गाड़ी में बिठाकर अपने आवास पर ले आए।

डीएम शैलेंद्र सिंह ने चलते-चलते रास्ते में उससे यह भी पूछ लिया कि उसने कब से खाना नहीं खाया और कब से स्नान नहीं किया। उसने बताया कि डेढ़ महीने से वह नहीं नहाया है और भरपेट खाना कब खाया था यह उसे याद नहीं है। वह बोला रास्ते में लोग उसे चाय, जलेबी व समोसा खिला देते उसी से विजय की रातें गुजर रही थीं। डीएम यह देखकर लगातार चकित हो रहे थे, उन्होंने अपने घर ले जाकर सबसे पहले उसे नहलाया, उसके बाद दुकान से नए कपड़े मंगवाए। उसे अपने ही आवास पर खाना खिलाया और उसकी जो संभव थी वह मदद भी की।

डीएम शैलेंद्र सिंह कहते हैं कि हमने कुछ अलग नहीं किया केवल मानवता का धर्म निभाया है। साथ ही एसडीएम मितौली को निर्देश दिया है कि वह कौन सा सेठ है, जिसने 11 महीने तक इस गरीब विजय से घर का, दुकान का सारा काम कराया और पगार जब देने की बारी आई तो उसे धक्के देकर निकाल दिया। उसका पता किया जाए और जो संभव हो इस गरीब की मदद की जाए।

फैजाबाद डीएम ने भी विसर्जित की थी लावारिस 'मां' की अस्थियां
बता दें, बात डेढ़ माह पहले की है। फैजाबाद जिलाधिकारी अनिल कुमार पाठक देर शाम रुदौली की ओर से फैजाबाद लौट रहे थे। उन्हें घायलावस्था में लगभग 70 वर्षीय वृद्ध महिला गोड़वा गांव के पास राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे पड़ी नजर आई। डीएम ने कार रोकवा कर उसके पास पहुंचे, लेकिन महिला अपने विषय में कुछ भी बता पाने में असमर्थ थी। जिलाधिकारी तत्काल उसे अपने वाहन से जिला अस्पताल लाए और उसे भर्ती कराया। यहां वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. गंगाराम गौतम की देखरेख में इलाज शुरू हुआ।

एक माह पूर्व डॉ. गौतम ने पैर का ऑपरेशन कर राड डाली। इसके बाद दस दिन पहले लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल विश्वविद्यालय के दंत रोग विशेषज्ञ डॉ. हरीराम को व्यक्तिगत तौर पर बुलाया गया। उन्होंने ऑपरेशन कर तार से टूटे जबड़े को बांध कर दुरुस्त किया। उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ और भोजन के रूप में फलों में केला एवं जूस, दूध का सेवन करने लगीं पर अपना पता उन्हें याद नहीं आया। आखिरकार बीते मंगलवार को वह जिंदगी की जंग हार गईं। इसकी सूचना तीमारदार होने के कारण जिलाधिकारी को अस्पताल प्रशासन ने दी।

डीएम ने 04 सितंबर को पूरी श्रृद्धा एवं वैदिक रीति-रिवाज के अनुसार गुप्तारघाट स्थित सरयू तट पर उनका अंतिम संस्कार किया। 06 सितंबर को उन्होंने सरयू तट पहुंच अस्थियां भी सरयू की धारा में विसर्जित कीं।


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