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सज रहे मेरे भोले बाबा निराले..

महाशिवरात्रि के पर्व पर नगर में हर साल की तरह इस बार भी शिव बारात का आयोजन किया गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 11 Mar 2021 10:51 PM (IST)Updated: Thu, 11 Mar 2021 10:51 PM (IST)
सज रहे मेरे भोले बाबा निराले..
सज रहे मेरे भोले बाबा निराले..

लखीमपुर : महाशिवरात्रि के पर्व पर नगर में हर साल की तरह इस बार भी शिव बारात का आयोजन किया गया शिवभक्त सोसायटी की ओर से विशालतम बारात में भगवान शिव की अद्भुत बारात से जाकर भक्तों ने निकाली सड़कों पर से गुजरी इस अद्भुत बरात में भगवान शिव नंदी पर विराजमान,हाथ में त्रिशूल और गले में सांपों की माला, का अद्भुत श्रंगार था। माता पार्वती के साथ भगवान शिव की बारात का मंचन देखने के लिए सड़कों के किनारे भी लोग जमा रहे। सज रहे भोले बाबा निराले दूल्हे में, शिव जी बिहन चले पालकी सजाए के, डोला सजाए के, जैसे भजनों के साथ झूमते गाते भक्त भी भूत-प्रेत योगिनी बेताल के स्वरूप में नृत्य करते नजर आ रहे थे।महेवा गढ़ी रोड पर यज्ञशाला से शुरू हुई,शिव बारात में भगवान शिव पार्वती के अलावा माता सरस्वती श्रीराम,लक्ष्मण जानकी के साथ पवन पुत्र हनुमान की झांकी,वाले रथ भी बिजली की झालरों से जगमगा रहे थे। मेला मैदान चौराहे से आनंद टॉकीज रोड होते हुए पुराने होमगार्ड ऑफिस से होकर इमली चौराहे तक उसके अलावा मिश्रा ने चौराहे और सदर बाजार में निकली इस दौरान जगह-जगह श्रद्धालुओं ने फूलों की वर्षा करके बरात का जलपान करा कर स्वागत किया। जगह जगह भगवान शिव पार्वती की आरती उतारी गई। रंग बिरंगी आतिशबाजी, अबीर गुलाल फूलों की बारिश के साथ बारात नगर के प्रमुख मार्गों से निकल कर वापस गढ़ी रोड पर समाप्त हुई।

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धूमधाम से निकली भोले बाबा की बरात गोलागोकर्णनाथ में महाशिवरात्रि पर्व पर पारंपरिक रूप से शिव बरात गाजे-बाजे के साथ मंदिर परिसर से चली, तो भक्तों ने जमकर अबीर-गुलाल खेलते हुए पर्व की खुशियां मनाईं। भगवान की बारात में बाराती बनकर शहर के हजारों लोग शामिल हुए। बरात में विभिन्न देव स्वरूपों व आकर्षक परिधानों व सजी धजी जीवंत झांकियों की शोभायात्रा नगर के प्रमुख मार्गों से गुजरी। शोभायात्रा के दौरान पुलिस कर्मी सजगता के साथ स्थितियों पर नियंत्रण करते हुए आगे-पीछे चलते दिखाई दिए। देर शाम बरात बाजे-गाजे के साथ मंदिर परिसर पहुंची, जहां भक्तों ने बरातियों व प्रभु के स्वरूपों का पूजन अर्चन कर पारंपरिक रूप से शिव विवाह की रस्में निभाकर अबीर गुलाल खेलते हुए एक-दूसरे को बधाइयां दीं।


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