खीरी हिसा की आंच में भी तपेंगी तीन सीटें
चुनाव से ठीक पहले विपक्ष के हाथ आए खीरी हिसा जैसे मुद्दे को वह अपना हथियार बनाने की तैयारी में हैं।
लखीमपुर: चुनाव से ठीक पहले विपक्ष के हाथ आए खीरी हिसा जैसे मुद्दे को वह अपना हथियार बनाने की तैयारी में है। खीरी जिले की आठ सीटों में से तीन सीटें खीरी हिसा की आंच में तपती नजर आ रही हैं। इस तपिश से पार पाना खासकर सत्ताधारी दल के आगे किसी कड़ी चुनौती से कमतर नजर नहीं आ रहा। ये सीटें लखीमपुर सदर, पलिया और निघासन होंगी। जहां महारथियों के आगे विपक्ष उनको चुनौती देने की तैयारी में है।
सबसे पहले बात निघासन सीट की.. इस सीट के लिए केंद्रीय मंत्री के बेटे और खीरी हिसा के मुख्य आरोपित आशीष मिश्र प्रमुख दावेदारों में शुमार थे। हालांकि अब वह जेल में हैं। भाजपा ने यहां मौजूदा विधायक और भाजपा के कद्दावर नेताओं में गिने जाने वाले स्वर्गीय पटेल रामकुमार वर्मा के बेटे शशांक को अपना इस बार भी उम्मीदवार घोषित किया है, लेकिन इस सीट पर उनका मुकाबला हाल ही में बसपा छोड़कर सपा में आए आरएस कुशवाहा से है जो बसपा सरकार में कभी बसपा सुप्रीमो के खासमखास माने जाते थे। इसके अलावा बसपा के मनमोहन मौर्या भी शशांक को चुनौती दे रहे हैं। दूसरी सीट पलिया को माना जा रहा है जो खीरी हिसा से प्रभावित नजर आ रही है। ये खाटी किसानों का वो इलाका है जहां उनका मन जीत पाना बड़ा टास्क होगा। हालांकि यहां से भाजपा के उम्मीदवार रोमी साहनी हैं जिनकी छवि को लेकर आम राय सर्वदा सुलभ व मददगार की है। रोमी को यहां सपा के प्रिपेंदर सिंह काकू चुनौती दे रहे हैं। तो बसपा के जाकिर हुसैन भी इस सीट से ताल ठोंक रहे हैं। अब बात तीसरी सीट की जो लखीमपुर सदर है। यहां खीरी हिसा की आंच इसलिए ज्यादा है क्योंकि सदर उम्मीदवार को केंद्रीय मंत्री का नजदीकी माना जाता रहा है। अब इसका कितना असर चुनाव में होगा ये तो समय बताएगा, लेकिन उनके आगे सपा के उत्कर्ष वर्मा और बसपा के चर्चित उम्मीदवार मोहन वाजपेयी की दावेदारी बड़ी चुनौती तो जरूर बनी दिख रही है।
उधर मोहम्मदी विधानसभा सीट को छोड़कर कांग्रेस ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। मोहम्मदी में पार्टी ने रितु सिंह को उम्मीदवार बनाया है।