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घाटी निपट गई है प्यारे.. अब पीओके की बारी है

श्री राम जानकी मंदिर निहालीपुरवा में चल रहे तीन दिवसीय

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Nov 2020 10:26 PM (IST)Updated: Mon, 16 Nov 2020 10:26 PM (IST)
घाटी निपट गई है प्यारे.. अब पीओके की बारी है
घाटी निपट गई है प्यारे.. अब पीओके की बारी है

लखीमपुर : श्री राम जानकी मंदिर निहालीपुरवा में चल रहे तीन दिवसीय हनुमान जन्मोत्सव के अंतिम दिन कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। विभिन्न स्थानों से आए कवियों ने देर रात तक काव्य पाठ किया। शुभारंभ भाजपा मंडल अध्यक्ष शशि शंकर शुक्ला, नगर महामंत्री विजय गुप्ता एवं राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के ब्लॉक अध्यक्ष कौशल किशोर प्रजापति व मंदिर के महंत बाबा गुरुमुख दास ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर किया।

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मैगलगंज से पधारे कवि अरविद कुमार ने सरस्वती वंदना कर निम्न पंक्तियां पढ़ी-बुढ़ापे की कमाई को जवानी ने उड़ाया है, बुजुर्गों ने सदा सिमटा हुआ कपड़ा उठाया है। कभी मां-बाप की लिखी तकदीर पढ़ लेना, फलों ने आजकल शाखों पर कितना जुल्म ढाया है। इसके बाद जेबीगंज से आए प्रमुख गीतकार सुनील बाजपेई ने भावपूर्ण गीत पढ़ा। लांछन आखिर कब तक सहती, रानी वनवासिन बन रहती। राघव पर राजा भारी था अपना दुखड़ा किससे कहती। लखनऊ से आए युवा कवि पीयूष अग्निहोत्री ने अपनी बात कुछ इस अंदाज में कही-सामने आके यह अधिकार लिया जाता है, दोष अपना हो तो स्वीकार लिया जाता है।

कृष्ण ऐसा तो नहीं भूल गए हो तुम भी, जुल्म बढ़ता है तो अवतार लिया जाता है। बरबर से आए हास्य कवि पवन पाल ने कहा चमके चम चम चांदनी चंदा चंद चकोर। चांदी चम्मच के चुरा चौंके चारों चोर।। इसके बाद हरदोई से पधारे प्रसिद्ध व्यंग्यकार श्रीकांत सिंह ने कहा-जीने वाले लोग डरा नहीं करते हैं। जीने वाले लोग जरा नहीं करते हैं। बात सौ टके की यह भी है न्यारी, जीने वाले लोग मरा नहीं करते हैं। दिल्ली के प्रमुख कवि अरविद पथिक ने पढ़ा-गोली का जवाब गोली से देने की तैयारी है।

घाटी निपट गई है प्यारे अब पीओके की बारी है। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे नगर के प्रमुख कवि रामचंद्र शुक्ल ने यह रचना पढ़ी-जीवन संघर्षों का नाम जीवन सबसे कठिन उन्हीं का रात दिवस जो मेहनत करते। खेत और खलिहान आज तक जिनकी हैं यश गाथा कहते। सबका उदर भरें जो खुद रह भूखे प्यासे उन्हें प्रणाम। अंत में मंदिर के महंत बाबा गुरमुख दास व सेवादार दौलत राम शर्मा, विश्वकांत त्रिपाठी, दाताराम, राम सागर गांधी, राम आसरे, सुरेश कुमार, रामनिवास आदि ने आए हुए अतिथियों व कवियों को शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया।


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