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संस्कृत की चलती-फिरती पाठशाला थे आचार्य बाबूराम: मनार

सुरचना त्रिवेदी ने के भी गीत सराहे गए। इसके अलावा मीना कुमारी जसविदर कौर साक्षी अवस्थी साधना तिवारी प्रियांशी स्नेहा गुप्ता पूजा वाजपेयी रिया श्रीवास्तव जोया खान ने आचार्य बाबूराम अवस्थी के संस्कृत श्लोक गीत प्रस्तुत किए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 11:08 PM (IST)Updated: Wed, 16 Oct 2019 06:04 AM (IST)
संस्कृत की चलती-फिरती पाठशाला थे आचार्य बाबूराम: मनार

लखीमपुर: दशहरा मेला के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के तहत चौथा दिन संस्कृत कवि सम्मेलन के नाम रहा। जिसमें आचार्य बाबूराम अवस्थी की याद में अनेक संस्कृत विद्वानों ने देश-विदेश के कोनों से आकर संस्कृत की कविताएं पढ़ी। विशेष रूप से दिल्ली विश्वविद्यालय के सुप्रसिद्ध संस्कृत गीतकार प्रोफेसर डॉ. रमाकांत शुक्ल ने अपनी रचना से लोगों को झकझोरा। धर्म ग्रंथों से लेकर प्रकृति का सौंदर्य वर्णन, सामाजिक नीतियों कुरीतियों को उठाती गिराती संस्कृत की रचनाएं लोगों की प्रेरणा स्त्रोत बनती रहीं। वहीं आर्य कन्या डिग्री कॉलेज की छात्राओं ने आचार्य बाबूराम अवस्थी के गीत भी तबला और हारमोनियम पर सस्वर प्रस्तुत किए।

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दशहरा मेला के इस संस्कृत कवि सम्मेलन की शुरुआत दीप प्रज्वलन के साथ हुई। जिसमें मुख्य अतिथि जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन विनीत मनार ने दीप प्रज्वलन कर के कार्यक्रम की शुरुआत की। इस मौके पर कार्यक्रम संयोजक डॉ. सुरचना त्रिवेदी, नगर पालिका परिषद अध्यक्ष निरुपमा वाजपेयी, डॉ. सतीश कौशल वाजपेयी, मेला कमेटी अध्यक्ष सर्वेश वर्मा, मेला प्रभारी अमरदीप मौर्य मौजूद रहे। मुख्य अतिथि ने कहा कि आचार्य जी जैसे महापुरुष वर्षों में जन्म लेते हैं। वे चलती फिरती संस्कृत की पाठशाला थे। संस्कृत कवि सम्मेलन में स्थानीय कवियों में प्रणव त्रिवेदी ने संस्कृत की रचना पढ़कर लोगों की वाहवाही लूटी। उन्होंने पढ़ा देववाणी वेद वाणी मातरम वंदा महे, डॉ. नवलता ने पढा कर्तुं सकल लोककल्याणम रामो दशानम हतवान . . तो पूरा पंडाल झूम गया।

दिल्ली विश्वविद्यालय के सुप्रसिद्ध गीत रचयिता रमाकांत शुक्ल के अनुच्छेदोचेछेदेंन शुभकामना अभिनंदनम पढा तो लोग खुद को ताली बजाने से नहीं रोक सके। आचार्य बाबूराम अवस्थी की पौत्री ने मुदिता ने हे शुभ्रवस्त्रावृते शुभमंदासमिमिते हंसासिनी . . .हंस सिद्धि सुविचार वाणी सपने धनी कुरूत्वम जननीमाम। प्रणव सुलक्ष्ने देववाणी देववाणी मातरम वंदे करके मां शारदे की। कार्यक्रम संयोजक आर्य कन्या डिग्री कॉलेज की प्राचार्य डॉ. सुरचना त्रिवेदी ने के भी गीत सराहे गए। मीना कुमारी जसविदर कौर साक्षी अवस्थी साधना तिवारी प्रियांशी स्नेहा गुप्ता पूजा वाजपेयी, रिया श्रीवास्तव जोया खान ने आचार्य बाबूराम अवस्थी के संस्कृत श्लोक गीत प्रस्तुत किए। अन्य कवियों में अभिषेक शाश्वत यज्ञ प्रकाश वाजपेयी, डॉ. उमापति मिश्र ने प्रियं भारतम् रचना प्रस्तुत की। कृपा शंकर मिश्र प्रोफेसर बृजेश कुमार शुक्ल, रामाश्रय यादव, अनंतराम शास्त्री जैसे विद्वानों ने रात्रि दो बजे तक अपनी संस्कृत रचनाओं से श्रोताओं को बांधे रखा।


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