नौकरी छूटी तो खुद का व्यापार शुरू कर बने स्वावलंबी
कंपनी में घाटे के कारण 12 साल नौकरी करने बाद श्रवण को बेरोजगारी का मुह देखना पड़ा। लेकिन मुश्किलों से घबराए नहीं। देउआपुर गांव में प्लास्टिक उद्योग की शुरुआत करने के साथ 10 लोगों को अब खुद रोजगार दे रहे हैं।
लखीमपुर : बेरोजगारी की बढ़ती चुनौतियों के बीच महज एक से डेढ़ लाख रुपये की पूंजी से शहर से सटे गांव देउआपुर में श्रवण कुमार वर्मा ने प्लास्टिक उद्योग की शुरुआत की थी। वर्तमान में वह करीब 10 लोगों को खुद रोजगार दे रहे हैं।
कक्षा पांच पास श्रवण ने 12 वर्ष की उम्र में राजगीर का काम सीखा। 14 वर्ष की आयु में घर छोड़कर लखनऊ पहुंचे और प्लास्टिक उद्योग की फर्म में 12 साल नौकरी की। अचानक कंपनी घाटे में आई और सभी कर्मचारी बेरोजगार हो गए। श्रवण ने कुछ दिनों तक दूसरों के यहां नौकरी की, लेकिन इससे घर का खर्च नहीं चला तो उन्होंने पड़ोसियों और रिश्तेदारों से रुपया जमा कर छोटी हस्त चलित मशीन लेकर अपना काम शुरू किया। एक वर्ष पूर्व बैंक से 10 लाख रुपये का कर्ज लेकर अपने व्यवसाय को बढ़ाया है। श्रवण ने सीतापुर और लखनऊ से पुरानी दो सेमी ऑटोमेटिक मशीन खरीदी है। कई जिलों में हो रही आपूर्ति
आज प्रियम प्लास्टिक उद्योग में निर्मित बैट बॉल लखीमपुर ही नहीं सीतापुर, शाहजहांपुर, बहराइच, पीलीभीत व लखनऊ समेत कई जिलों में जाता है। ऑर्डर पर श्रवण खुद माल पहुंचाते हैं। आज श्रवण तैयार माल की आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। डिमांड अधिक है। इसके लिए उन्हें फुल ऑटोमेटिक मशीन लगानी है। अब उन्होंने 25 केवीए का 1.25 लाख रुपये कीमत का ट्रांसफार्मर लगवाया है। सारे खर्च निकालकर प्रतिमाह 25000 रुपये की आय उन्हें हो रही है। वे कच्चा माल लखनऊ से लाते हैं और कलर दिल्ली से।