रामनरेश के रिहा होने की जगी उम्मीद, खिले चेहरे
सिकंद्राबाद (लखीमपुर) : दस साल से जेल में बंद सजायाफ्ता रामनरेश की रिहाई की उम्मीद की जानक
सिकंद्राबाद (लखीमपुर) : दस साल से जेल में बंद सजायाफ्ता रामनरेश की रिहाई की उम्मीद की जानकारी होने के बाद उनकी पत्नी व पुत्र के चेहरे पर खुशी दौड़ गई है। रामनरेश गैर इरादतन हत्या के जुर्म जेल की सजा काट रहा है। जेल जाने के बाद से रामनरेश की पत्नी व पुत्र को तमाम कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है।
नीमगांव थाना क्षेत्र के अटवा गांव निवासी रामनरेश को साल 2017 में स•ा हुई थी। रामनरेश साल 2009 में गैर इरादतन हत्या के इल्जाम में जेल गया था। केंद्र सरकार के आदेश पर जिला कारागार से रिहा होने वाले कैदियों की सूची में रामनरेश का नाम भी शामिल है। रिहाई की खबर खुद रामनरेश ने मिलाई करने गई अपनी पत्नी रामबेटी को दी थी। तब से रामबेटी व उसके बेटे संदीप रिहाई की आस में बहुत खुश हैं। रामबेटी ने बताया कि जब उसके पति को पुलिस घर से लेकर गई थी तब बेटे की उम्र दो साल थी। अब बेटे की उम्र बारह साल है और वह कक्षा छह में पड़ता है। इन दस सालों में मां बेटे को तमाम कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। परिवार ने साथ छोड़ दिया तब रामबेटी को रोजी रोटी के लिए संघर्ष करना पड़ा। छोटे बच्चे की परवरिश और दोनों की देखभाल में परिवार को रामनरेश के पुराने दोस्त ओमकार ने सहारा दिया। रामबेटी कहती हैं कि ओमकार ने खाने पीने से लेकर दवा इलाज का भी ख्याल रखा। जेल में रामनरेश से मिलाई करने ओमकार खुद जाते थे।
ओमकार ने अदा कर दिया दोस्ती का फर्ज
रामनरेश के जेल जाने के बाद उसकी पत्नी व दो साल के बेटे को तमाम मुसीबतों का सामना करना पड़ा। घर परिवार ने साथ छोड़ दिया, लेकिन रामनरेश के पुराने दोस्त ओमकार परिवार के लिए फरिश्ता बन कर आये। खुशी के आंसुओं के बीच रामबेटी कहती हैं कि अगर ओमकार सहारा न देते तो हम मां बेटे बिखर गए होते। रामबेटी की मदद करने के दौरान कई बार ओमकार को लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन दोस्ती की खातिर ओमकार सब सहन कर गए। ओमकार कहते हैं कि उन्होंने सिर्फ दोस्ती का फर्ज अदा किया है।