बूढ़े दादी-बाबा को आस जरायम से तौबा करेगा बौरा
कस्ता (लखीमपुर) : पिछले छह माह से मामूली अपराध में जेल की सलाखों के पीछे कैद मितौली के र
कस्ता (लखीमपुर) : पिछले छह माह से मामूली अपराध में जेल की सलाखों के पीछे कैद मितौली के रमपुरवा गांव निवासी विद्यासागर उर्फ बौरा की दो दिन पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर रिहाई हुई तो उसके बूढ़े दादी-बाबा की आंखों खुशी के मारे डबडबा गईं। कई महीनों बाद अपने पोते को घर देखा तो उन्हें आस जगी है कि अब वह अपराधों से तौबा करेगा।
विद्यासागर उर्फ बौरा चोरी आदि अपराधों में पूर्व में संलिप्त रहा है। बीती 30 मार्च को मितौली थाना पुलिस ने उसे शस्त्र अधिनियम के मुकदमे में जेल भेजा था। परिवार में सिर्फ बौरा के 80 वर्षीय बाबा दर्शन व बूढ़ी दादी लौंगश्री ही हैं। घर में गरीबी का आलम ये कि दो वक्त की रोटी तक का जुगाड़ नियमित नहीं है। ऐसे में बौरा की जमानत तो दूर उससे मिलाई करने भी बूढ़े दादी-बाबा नहीं जा पाए। इधर छह महीनों से जेल में बंद बौरा भी अपनी जल्द रिहाई की आस छोड़ चुका था। हालांकि बीती 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर अपराध निरोधक समिति की पहल पर उसे जमानत मिल गई और वह अपने घर पहुंचा। अपने घर के इकलौते चिराग को देख बूढ़े दर्शन व लौंगश्री की आंखें भर आईं। दादी-बाबा समेत पड़ोस के लोगों ने अब बौरा को अपराधों से तौबा कर लेने की सीख दी। वहीं बौरा ने भी अब सही राह पर चलने की बात कही है।
ये पांच बंदी भी सही राह पर चलने को तैयार
लखीमपुर : मोदी सरकार के आदेश पर जेलों में मामूली अपराधों में बंद ऐसे बंदियों को दो अक्टूबर को रिहा किया जाना है, जो अपनी सजा का 50 फीसदी समय काट चुके हैं। इस परिधि में खीरी जिला जेल में बंद पांच बंदियों क्रमश: मैलानी क्षेत्र के प्यारे पुत्र रामचंद्र, शहर क्षेत्र के धनंजय पुत्र दयाकृष्ण, हरगांव क्षेत्र के राजकुमार ¨सह पुत्र शमशेर ¨सह, नीमगांव क्षेत्र के रामनरेश पुत्र नोखे व पसगवां क्षेत्र के वहदुल्ला पुत्र बखतुल्ला के दो अक्टूबर को रिहा होने की आस है। ये पांचों बंदी अपनी 66 फीसदी से ज्यादा सजा काट चुके हैं। इनकी रिहाई की आस के साथ ही इनके भी आगे से सही राह पर चलने की उम्मीद जगी है।