बाढ़ग्रस्त फूलबेहड़ में बालू खनन बड़ा मुद्दा
गांवों में पंचायत चुनाव को लेकर पक्ष-विपक्ष के बीच जोर आजमाइस शुरू हो गई है।
लखीमपुर : गांवों में पंचायत चुनाव को लेकर पक्ष-विपक्ष के बीच जोर आजमाइस शुरू हो गई है। सड़क, बिजली, पानी, रोजगार जैसे मुद्दों के साथ बालू खनन का मुद्दा खूब जोर मार रहा है। यहां खनन की वजह से सड़कें टूट चुकी हैं और रेत उड़कर लोगों को बीमार कर रहा है। मंगलीपुरवा, पिपरागूम, मझरी, लंगड़ीपुरवा, रायनगर, जदीदपुरवा सहित 24 गांवों के लोगों के लिए यह मुद्दा सबसे आगे रहने वाला है। मतदाता मन बना चुके हैं कि इस बार उन्हीं प्रधानों को जिताया जाएगा, जो खनन से मुक्ति दिलाने के साथ ही आवागमन सुगम कराएगा।
क्षेत्र में शारदा नदी की बाढ़, कटान व सड़कों की बदहाली सबसे बड़ा मुद्दा है। लोगों को उम्मीद जगी है कि इस बार पंचायत चुनाव में बाढ़ग्रस्त क्षेत्र के नए ग्राम प्रधान एकजुट होकर इन समस्याओं का सामना करेंगे। क्षेत्र की नौ ग्राम पंचायत बाढ़ की चपेट में आती है। कटान की वजह से कई गांव नदी में समा चुके हैं। जिससे विस्थापित परिवार अब भी सड़क किनारे झोपड़ी डालकर जिदगी गुजार रहे हैं। बाढ़ के वक्त करीब 24 गावों का संपर्क ब्लॉक व जिला मुख्यालय का टूट जाता है। उस वक्त लोगों के लिए नाव ही सहारा बनती है। लोगों को ग्राम पंचायतों से भी विशेष सहयोग नहीं मिल पाता है। गांवों में सैकड़ों हैंडपंप खराब पड़े हैं। फिर प्रधान इन्हें दुरुस्त नहीं कराते। गांवों में खडं़जा व नाली नहीं बन पाई हैं। जिससे जल निकासी न होने से सड़कों पर गंदा पानी भरा रहता है। यहां नदी किनारे से सैकड़ों ट्रॉली व ट्रक ओवरलोड बालू भरकर निकलते हैं, जिस कारण मिलपुरवा से गूम तक सड़क बिल्कुल टूट गई है। सड़क पर डामर गिट्टी की जगह मिट्टी दिखाई देती है। मिलपुरवा के पास कि पुलिया भी इन ओवरलोड वाहनों की वजह से बैठ गई है। सुनिए मतदाता की
यह पहली बार मतदान करने जा रहा हूं, इस बार पंचायत चुनाव से बड़ी उम्मीद है। वोट देने से पहले पूरी तरह आश्वस्त हो लूंगा कि कौन प्रत्याशी बालू खनन और उससे पड़ रहे दुष्प्रभावों से निजात दिलाएगा। प्रधान के जरिए ही बाढ़, कटान, बालू खनन व क्षेत्र के विकास को लेकर शासन प्रशासन पर दबाव बनाया जाएगा।
अभिषेक प्रताप सिंह, पिपरागूम
क्षेत्र में समस्याएं तो तमाम हैं, लेकिन बाढ़ व कटान की समस्या काफी जटिल है। हर साल बाढ़ अपना कहर बरपाती है। खेतों मे खड़ी फसलें तबाह हो जाती हैं। अभी तक बाढ़ व कटान के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं किए गए हैं। पहले सड़कें बाढ़ के पानी से खराब होती थीं, लेकिन अब खनन से सड़कें टूट रही हैं।
करनपाल सिंह, पिपरागूम बालू से भरी ओवरलोड ट्रॉली व ट्रक निकलने से रोड़ इतनी खराब हो गई है कि मोटर साइकिल से निकलना मुश्किल हो जाता है। रात में अगर कोई बीमार हो तो उसे अस्पताल ले जाना टेड़ी खीर है। ग्रामीणों के विरोध पर अधिकारी बचाव में आ जाते हैं। इसे लेकर नए प्रधान से काफी उम्मीद है।
राजेश कुमार गौतम, बगिया बाढ़ के समय पानी की वजह से फसलों को नुकसान होता ही है, लेकिन खनन से सड़कें टूट रही हैं, जिससे आवागमन में भी काफी दिक्कतें होती हैं। अगर नाव न चले तो लोगों को आने जाने के लिए बहुत बड़ी समस्याएं हो जाती हैं। प्रधानों को चाहिए कि वे इस समस्या को बड़े स्तर उठाएं।
इमरान, मंगलीपुरवा फूलबेहड़ ब्लॉक 27000 लोगों को शौचालय मिला है पूरे ब्लॉक में
3600 लाभार्थियों को प्रधानमंत्री आवास की सुविधा
185370 मतदाता हैं पूरे फूलबेहड़ क्षेत्र में
120 क्षेत्र पंचायत सदस्य के पद सृजित किए गए हैं ब्लॉक में
36 अति संवेदनशील पोलिग बूथ किए गए हैं चिन्हित