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जगन्नाथ टांडा के चार घर शारदा में समाए

भीरा (लखीमपुर) : भीरा क्षेत्र के ग्राम छंगा टांडा, जंगल नंबर सात को शारदा नदी काटने के बा

By JagranEdited By: Published: Sun, 16 Sep 2018 11:07 PM (IST)Updated: Sun, 16 Sep 2018 11:07 PM (IST)
जगन्नाथ टांडा के चार घर शारदा में समाए
जगन्नाथ टांडा के चार घर शारदा में समाए

भीरा (लखीमपुर) : भीरा क्षेत्र के ग्राम छंगा टांडा, जंगल नंबर सात को शारदा नदी काटने के बाद अब जगन्नाथ टांडा में कटान शुरू कर दिया है। जिससे इस गांव में भी अफरा-तफरी का माहौल है। ग्रामीण अपने मकानों को खुद अपने हाथों से तोड़कर जरूरी सामान साथ लेकर पलायन करने पर विवश हैं। नदी अब तक चार घर जिसमें हरिश्चंद्र, प्रेम प्रकाश, रामपाल व सियाराम का घर शामिल है, को काट चुकी है। इसके बाद भी नदी का कटान रुका नहीं है। ऐसे में इस गांव के भी नदी में समा जाने की आशंका प्रबल हो गई है। इस गांव को भी बचाने के लिए आज तक प्रशासन व शासन द्वारा कोई गंभीर कदम नहीं उठाया गया। ऐसा न किए जाने से आने वाले समय में आसपास के अन्य गांव भी नदी की कटान के जद में आ जाने की आशंका ग्रामीण व्यक्त कर रहे हैं। प्रशासन की ढुलमुल नीति के कारण शारदा नदी कई गांवों को काटकर उनकी हजारों एकड़ कृषि भूमि काटकर अपने में समा चुकी है। फलस्वरूप कल तक संपन्न रहे कई किसान आज मजदूरी करने की हालत में पहुंच गए हैं। शासन द्वारा अब तक कोई ठोस प्रयास नदी से बचाव के लिए नहीं करने से लोगों में सरकार के प्रति भी आक्रोश की है।

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ग्रामीण राम प्रसाद का कहना था कि शारदा नदी से क्षेत्र को बचाने के लिए कई वर्षों से वह लोग सांसद, विधायक, जिलाधिकारी मुख्यमंत्री तक फरियाद कर चुके हैं, लेकिन निरीक्षण व दौरे के साथ आश्वासन के सिवा कुछ नही मिला। या फिर बाढ़ आने पर कभी आटा, दाल, चना तिरपाल का वितरण कर फर्ज की अदायगी कर ली गई। हालांकि ¨सचाई विभाग वाले छंगा टांडा के पास जीईओ बैग को बालू से भरकर डालने में लगे हैं, लेकिन नदी की प्रबल धारा के चलते उनकी यह योजना भी पानी के साथ बह कर व्यर्थ जा रही है। शारदा नदी से बचाव के लिए ठोकरों के निर्माण की मांग ग्रामीणों ने की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसी हालत में क्षेत्र को नदी के प्रकोप से बचाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री से शारदा नदी के बचाव के लिए यहां शारदा पुल के पास से छंगा टांडा, जंगल नंबर 7, जगन्नाथ टांडा तथा ग्राम ढकिया तक ठोकरों के निर्माण की मांग की है, जिससे बचा हुआ हरा भरा क्षेत्र सुरक्षित रह सके।


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