बाढ़, कटान बनेगा मुद्दा, नेताओं को देना होगा जवाब
तिकुनिया के एक दर्जन गांवों को लील चुकी मोहाना नदी का सदमा कटान पीड़ित भूल नहीं पा रहे हैं।
लखीमपुर : तिकुनिया के एक दर्जन गांवों को लील चुकी मोहाना नदी का सदमा कटान पीड़ित भूल नहीं पा रहे हैं। अभी भी आधा दर्जन से अधिक गांवों पर कटान का भय बना हुआ है। चुनाव के समय तो नेताओं को कटान पीड़ितों की यह मांग पुरजोर नजर आती है, लेकिन चुनाव के बाद सभी नेता उनकी इस समस्या को दूर कराना भूल जाते हैं।
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव पूरे जोर पर है। तहसील निघासन के तिकुनिया इलाके में भी कटान पीड़ितों का यह सवाल नेताओं की नींद उड़ा सकता है। तिकुनिया के ग्राम नई बस्ती बंदरिया, रामनगर संकल्पा, अनूपनगर, कश्यपनगर, टेकई पुरवा, सूरतनगर सहित एक दर्जन गांवों को मोहाना नदी अपने आगोश में ले चुकी है जबकि ग्राम गंगानगर, रननगर, इंद्रनगर, नयापिड, जसनगर आदि गांव पर मोहाना नदी की कटान का भय मंडरा रहा है। वैसे तो जनप्रतिनिधियों व नेताओं का काम जनता के सुख दुख में साथ देना होता है, लेकिन तहसील निघासन के जीतने वाले जनप्रतिनिधि आज तक तिकुनिया इलाके के कटान पीड़ित गांवों को कटान व बाढ़ से अभी तक राहत नहीं दिला सके हैं। जिससे हर वर्ष आने वाली बाढ़ का पानी उनको बर्बाद कर वापस लौट जाता है, जबकि लगातार हो रहे कटान से उनकी जमीनें नदी में समाती जा रही हैं। विधानसभा चुनाव के चलते इलाके के बाढ़ व कटान पीड़ित इलाकों में आने वाले नेताओं को कटान पीड़ितों के सवालों का सामना करना पड़ सकता है। कटान पीड़ित गुरमीत सिंह ने बताया कि हर वर्ष मोहाना नदी कटान करती है, लेकिन चुनाव के समय नेता वादा कर जाते हैं जीतने के बाद उनकी कोई सुधि लेने नहीं आता है। नेपाली नदी ने भारतीय सीमा पर जमाया कब्जा
बीते एक दशक से भी ज्यादा समय से भारतीय क्षेत्रों में कटान कर रही नेपाल राष्ट्र की मोहाना नदी इस समय भारतीय सीमा पर बह रही है। नेताओं की चुप्पी भारतीय इलाकों के लिए भारी पड़ सकती है। उदासीनता का ही परिणाम है कि आज नेपाल राष्ट्र की मोहाना नदी पूरी तरह भारतीय सीमा के तिकुनिया इलाके में बह रही है।