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इमदाद के नाम पर पीटा जा रहा ढिढोरा

पहाड़ों पर मूसलधार बरसात और बनबसा का पानी।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Oct 2021 09:44 PM (IST)Updated: Sun, 24 Oct 2021 09:44 PM (IST)
इमदाद के नाम पर पीटा जा रहा ढिढोरा
इमदाद के नाम पर पीटा जा रहा ढिढोरा

लखीमपुर : पहाड़ों पर मूसलधार बरसात और बनबसा का पानी। ऐसे तो हर साल ये दोनों तराई के खीरी जिले के किसानों को जो जख्म देते थे, वह समय के साथ भर जाया करते थे, लेकिन इस बार मंजर डरावना नहीं, बल्कि दिल को झकझोर देने वाला है। हजारों क्विंटल धान की तैयार फसल जो एक दो दिन में कटकर मंडी जाने वाली थी, पानी ने तबाह कर दी। करोडों रुपये का नुकसान हुआ। और तो और कई इंसानों को भी अपनी जिदगी से हाथ धोना पड़ा। तबाही के एक दो नहीं दर्जनों वीडियो भी इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रहे हैं, मगर अफसोस ये है कि ये जिम्मेदारों की आंखों तक नहीं पहुंच पा रहे। नेता से मंत्री तक और लेखपाल से लेकर कलेक्टर सभी हालात को काबू करने में खुद को जी जान से जुटे बता रहे हैं, लेकिन गुरुवार को तबाही दे गया पानी अब हजारों किसानों को मिले जख्म को कैसे दूर करेगा। फिलवक्त इसका जवाब किसी के पास भी नहीं।

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लखीमपुर खीरी जिले के अन्नदाताओं की किस्मत तो देखिए सरकार की धान खरीद जिले में ठीक ढंग से शुरू भी न हो पाई थी कि किसानों के सपने चकनाचूर हो गए। जिले में धान खरीद की एक तस्वीर मोहम्मदी में पिछले शुक्रवार को वायरल हुई, जब मंडी में इंतजार कर थक चुके एक किसान ने अपनी फसल को आग के हवाले कर दिया। वह पिछले तीन दिन से अपने धान को लिए मोहम्मदी की मंडी में पड़े हैं। उम्मीद पर पड़े हैं कि उनका धान सरकार खरीदेगी और पैसा लेकर वह घर जाएंगे, त्योहार नजदीक है..परिवार के साथ हंसी खुशी मनाएंगे.. मगर ऐसा नहीं हुआ और खून पसीने से तैयार की गई फसल को उन्होंने आग के हवाले कर दिया। मंत्री जी हवाई सर्वेक्षण कर रहे हैं.. मीडिया के सामने यह बखान कर रहे हैं कि लाखों भोजन के पैकेट बांट दिए गए हैं.. सब ठीक है.. अमन-चैन है..सरकार और उसके झंडा बरदार मुस्तैदी से काम कर रहे हैं, मगर किसान खून के आंसू रो रहा है।

पलिया निघासन और धौरहरा में हुई सबसे ज्यादा तबाही

बुधवार को उत्तराखंड के बनबसा बैराज से करीब पांच लाख क्यूसेक पानी का जो डिस्चार्ज हुआ, उसने ऐसे तो खीरी जिले के कई इलाकों को अपनी चपेट में लिया, लेकिन सबसे ज्यादा तबाही जिले की पलिया, निघासन और धौरहरा तहसील में नजर आई। जहां खेत में तैयार कटा हुआ पड़ा हजारों क्विंटल धान नष्ट हो या कहें कि जमींदोज हो गया। अब किसान पाई पाई के लिए मोहताज है.. एक मोटे आंकड़े के मुताबिक पलिया तहसील के संपूर्णानगर, गौरीफंटा, चंदनचौकी, मझगईं, बिजुआ, भीरा के तमाम इलाकों में तबाही हुई, तो निघासन तहसील की तिकुनिया, खैरटिया, नयापिड, संपूर्णानगर, बेलरायां, सिगाही, ढखेरवा में हालात रोंगटे खड़े करने वाले नजर आए। इसी तरह धौरहरा में जब घाघरा उफनाई तो उसने अपने अपने साथ एक दो नहीं सैकड़ों गांवों की फसलों को पानी में डूबा दिया। कई करोड़ की हुई तबाही, पर कागज में महज एक करोड़

धान की फसल का नुकसान एक मोटे अनुमान के मुताबिक कई करोड़ रुपया है, लेकिन सरकार के आंकड़ों में यह बमुश्किल एक करोड़ का आंकड़ा ही छू पाई है। सरकार के आंकड़े में 340 गांव ही प्रभावित हैं, जबकि इतना तो एक तहसील में ही प्रभावित हुए हैं। दरअसल आंकड़े कुछ और हैं और हकीकत कुछ और।

जिम्मेदार की सुनिए

आपदा से कितना नुकसान हुआ है, अभी यह कह पाना मुश्किल है, लेकिन अभी तक यह आंकड़ा एक करोड़ के ऊपर है। अभी कई इलाकों में पानी ही डिस्चार्ज नहीं हो पाया है। कुछ और शव बरामद हुए हैं। प्रशासन की टीमें लगी हैं। सभी पीड़ितों को सरकार की तरफ से राहत व बचाव की सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। किसी भी किसान को या किसी भी इंसान को कोई भी असुविधा नहीं होने दी जाएगी।

डा. अरविद चौरसिया,

डीएम


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