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अभेद्य होगी दुधवा टाइगर रिजर्व की सीमा

लेजर बीम तकनीक से सीमा सुरक्षा का पायलट प्रोजेक्ट स्वीकृत हो गया है। इसके लिए रक्षा एवं अनुसंधान विकास संगठन पार्क के किनारे लेजर फैंसिग करेगा।

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Jun 2020 11:26 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jun 2020 06:02 AM (IST)
अभेद्य होगी दुधवा टाइगर रिजर्व की सीमा
अभेद्य होगी दुधवा टाइगर रिजर्व की सीमा

हरीश श्रीवास्तव, पलियाकलां (लखीमपुर) : दुधवा टाइगर रिजर्व की सुरक्षा अब अभेद्य होगी। दुधवा टाइगर रिजर्व की सुरक्षा के लिए सीमा पर लेजर फैंसिग की जाएगी। फैंसिग में लेजर बीम तकनीक का उपयोग कर उसे अभेद्य बनाया जाएगा। जिससे पार्क की बेशकीमती वन संपदा और दुर्लभ वन्यजीव सुरक्षित रह सकेंगे। लेजर बीम तकनीक अदृश्य दीवार की तरह होती है। इसे भेदने का जब कोई प्रयास करेगा तो सिस्टम से जुड़े अधिकारियों के मोबाइल फोन पर एलार्म बज उठेगा साथ ही मौके पर लगे कैमरों में उसकी तस्वीर भी आ जाएगी। वह चाहे कोई वन्यजीव हो या फिर शिकारी अथवा अवैध प्रवेशी। लेजर फैंसिग का पायलट प्रोजक्ट स्वीकृत हो चुका है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत पहले बेलराया डिवीजन में पांच किलोमीटर तक लेजर फैंसिग की जानी है। अगर तकनीक सफल रही तो पूरे पार्क की सीमा पर फैंसिग की जाएगी। पायलेट प्रोजेक्ट के लिए पार्क को 50 लाख की धनराशि भी मिल गई थी। लेकिन कोरोना काल में काम न हो पाने के कारण बजट को इस शर्त के साथ सरेंडर कर दिया गया कि माहौल ठीक होने पर जब काम शुरू होगा तो बजट का आवंटन पुन: कर दिया जाएगा। इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी रक्षा एवं अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ)को दी गई है। दुधवा टाइगर रिजर्व प्रदेश का एकलौता ऐसा जंगल क्षेत्र बनने जा रहा है जिसकी सुरक्षा में लेजर तकनीक अपनाई जाने वाली है। इससे पहले सोलर फैंसिग के जरिए पार्क के वन्यजीवों को जंगल से बाहर निकलने से रोकने का प्रयास किया गया था लेकिन वह पूर्णत: सफल नही हुई। हाथियों ने सोलर फेंस को कई जगह से डैमेज कर दिया था। इसके बाद लेजर फेंस की तकनीक अपनाने का निर्णय लिया गया।

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क्या कहते हैं जिम्मेदार : दुधवा टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक मनोज सोनकर बताते है कि पार्क की सुरक्षा काफी बड़ी चुनौती है। जंगल से बाहर आने वाले वन्यजीवों का मानव से संघर्ष भी अहम मुद्दा है। बेहतर सुरक्षा और संघर्ष को शून्य करने के लिए लेजर बीम तकनीक से पार्क की सीमा संरक्षित की जाएगी। इसके लिए डीआरडीओ को अधिकृत कर दिया गया है। कोरोना का प्रभाव हल्का होते ही इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया जाएगा।


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