नए साल के स्वागत को दुधवा नेशनल पार्क हाउसफुल,पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ी
दुधवा नेशनल पार्क नए साल के जश्न के लिए हाउसफुल हो गया है। पर्यटकों के रुकने के लिए यहां कोई गेस्ट हाउस या थारू हट नहीं बचा है।
लखीमपुर, श्वेतांक शंकर उपाध्याय। दुधवा नेशनल पार्क नए साल के जश्न के लिए हाउसफुल हो गया है। पर्यटकों के रुकने के लिए यहां कोई गेस्ट हाउस या थारू हट नहीं बचा है। क्रिसमस पर पर्यटकों की भारी भीड़ से पार्क प्रशासन उत्साहित है। पर्यटकों को घुमाने के लिए मंगलवार को दुधवा प्रशासन की कुल 30 गाडिय़ां भी कम पड़ गईं। सुबह से भीड़ बढऩे के कारण पर्यटकों को पार्क प्रशासन द्वारा अधिकृत गाडिय़ां नहीं मिलीं। तमाम पर्यटकों को मायूस होना पड़ा। वहीं अधिकारियों को उम्मीद है कि नए साल पर इससे ज्यादा भीड़ होगी क्योंकि धूप बढऩे पर ज्यादा से ज्यादा बाघ कोर जोन से बाहर निकलते हैं। दुधवा में बाघों के लगातार दीदार होने से इस साल पार्क में आने वाले पर्यटकों की संख्या में काफी वृद्धि हो रही है इसलिए अधिकारी पर्यटकों से एडवांस बुकिंग की अपील कर रहे हैं।
सबसे ज्यादा 280 पर्यटक दुधवा पहुंचे
दुधवा मुख्यालय के अलावा यहां सठियाना, बनकटी, सोनारीपुर और किशनपुर में गेस्ट हाउस है, जिनकी ऑनलाइन बुकिंग हो चुकी है। इसके साथ पर्यटकों के ठहरने के लिए 14 थारू हट हैं। इनमें 10 थारू हट ऑनलाइन बुक कराई जाती है, जबकि चार हट पार्क प्रशासन के नियंत्रण में हैं, लेकिन वह भी बुक हो चुके हैं। पार्क के उपनिदेशक महावीर कौजलगि ने बताया कि क्रिसमस के दिन सबसे ज्यादा 280 पर्यटक दुधवा पहुंचे। 65 वाहनों की इंट्री हुई है। पर्यटकों के लिए पार्क की गाडिय़ां कम पड़ गईं लेकिन, नए साल में भी गाडिय़ों को बढ़ाने का कोई प्रपोजल नहीं है।
प्राइवेट गाडिय़ों का रजिस्ट्रेशन होगा
दुधवा में कुल 30 टूरिस्ट वाहन हैं। काफी समय से यह महसूस किया जा रहा है कि दुधवा में गाडिय़ों की संख्या बढऩी चाहिए लेकिन, दुधवा प्रशासन पर्यटन नियमों से बंधा हुआ है। डीडी महावीर कौजलगि कहते हैं कि स्थानीय स्तर पर गाडिय़ों को खरीद कर टैक्सी परमिट में लोग यहां वाहन रजिस्टर्ड करा सकते हैं। गाडिय़ां लगाने से लोगों को रोजगार मिलेगा। ईको टूरिज्म में थारू जनजाति और स्थानीय लोगों से संपर्क भी किया गया है। ताकि वाहनों की संख्या में बढ़ोतरी हो सके और इससे पर्यटकों को दुधवा घूमने में आसानी होगी। इससे जनजाति के लोगों के लिए जंगलों पर निर्भरता भी कम होगी।