दुधवा के बफर को निगल रहा अतिक्रमण का दीमक
लखीमपुर: इंडो-नेपाल सीमा पर स्थित दुधवा नेशनल पार्क में घुसपैठ और अतिक्रमण का मामला नया नह
लखीमपुर: इंडो-नेपाल सीमा पर स्थित दुधवा नेशनल पार्क में घुसपैठ और अतिक्रमण का मामला नया नहीं है। तीन से चार दशक से दुधवा के बफरजोन के 71204.317 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 9226.609 हेक्टेयर एरिया पर भू-माफिया ने कब्जा कर रखा है। कई बार अतिक्रमण खाली कराने के प्रयास हुए लेकिन, हर बार भू-माफिया हावी रहे। डीडी बफर डॉ. अनिल पटेल के मुताबिक विभिन्न रेंजों की अतिक्रमित वनभूमि पर मुख्यत: गन्ने की फसल उगाई जा रही है। इनमें संपूर्णानगर रेंज में 2361.750 हेक्टेयर, पलिया क्षेत्र में 1965.088, मझगई क्षेत्र में 573.680 हेक्टेयर, उत्तर निघासन क्षेत्र में 1433.870 हेक्टेयर, दक्षिण निघासन क्षेत्र में 644.160 हेक्टेयर, धौरहरा क्षेत्र में 488.260, मैलानी व भीरा क्षेत्र में 1713.2889 व खुटार क्षेत्र में 46.5020 हेक्टेयर क्षेत्र में अतिक्रमण है।
हाईकोर्ट के निर्देश पर पार्क प्रशासन ने सौंपी रिपोर्ट
डीडी महावीर कौजलगि ने सुरक्षाकर्मियों की सूची तैयार कर अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट के मुताबिक रेंजर के 11 पदों के सापेक्ष यहां सात रेंजर ही तैनात हैं। दुधवा और गौरीफंटा जैसी रेंज में डिप्टी रेंजर को तैनात किया गया है। बनकटी रेंज में भी डिप्टी रेंजर तैनात है। किशनपुर को बाघों का घर कहा जाता है, यहां काफी समय से एसडीओ का पद रिक्त है। एक एसडीओ की तैनाती हुई, लेकिन कार्यभार ग्रहण नहीं किया। 88 के मुकाबले 63 फारेस्टर तैनात हैं। फारेस्ट गार्ड के स्वीकृत पदों के सापेक्ष तैनाती कम है। इसके अलावा टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के एक डिप्टी एसपी के साथ 94 जवान तैनात हैं। इनमें 40 दुधवा पार्क, 18 बफरजोन तथा 36 कतर्निया घाट में तैनात हैं।
घुसपैठ व अतिक्रमण की बड़ी घटनाएं
-वर्ष 2012-13 में करीब पांच सौ लोगों ने दुधवा में घुसपैठ कर पेड़ों को तहस-नहस कर दिया था।
-2011 में संपूर्णानगर रेंज में वनभूमि पर कब्जे के प्रयास में हुआ था खूनी संघर्ष
- 2017 में पलिया रेंज के पतेड़ा में अतिक्रमण खाली कराने गए अधिकारियों की जीप फूंक दी गई