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गोली की आवाज के साथ मातम में बदल गईं खुशियां

निभा रही थीं। दरवाजे पर खुशनुमा माहौल में तिलक चढ़ाया जा रहा था। घरवालों के साथ ही रिश्तेदार, पड़ोसी सभी कार्यक्रम का आनंद ले रहे थे। तभी एक रिश्तेदार धर्मपाल ने अतिउत्साहित होकर हर्ष फाय¨रग कर दी और गोली चलने की आवाज के साथ ही सारी खुशियां गम में बदल गईं। एक पल पहले ताक-झांक करके तिलक चढ़ता देख रही मासूम मधु गोली लगने से तड़पते हुए मौत के आगोश में चली गई। वारदात के बाद मची अफरा-तफरी का फायदा उठाकर धर्मपाल अपनी बाइक छोड़कर भाग गया। न्यायालय द्वारा हर्ष फाय¨रग प्रतिबंधित होने के बाद भी ग्रामीण इलाकों में इस पर लगाम नहीं लग पा रही है। लाइसेंसी शस्त्रधारकों पर तो अंकुश लग गया, लेकिन अवैध हथियारों से होने वाली हर्ष फाय¨रग नहीं थम रही है। तिलक समारोह में हुई हर्ष फाय¨रग तीन परिवारों पर भारी पड़ गई। रमेश ने जहां अपनी बेटी मधु को खो दिया, वहीं उजाला देवी व रोहित अपनी ¨जदगी से जूझ रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 11:36 PM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 11:36 PM (IST)
गोली की आवाज के साथ मातम में बदल गईं खुशियां
गोली की आवाज के साथ मातम में बदल गईं खुशियां

लखीमपुर : क्षेत्र के ग्राम बड़वारी मांग निवासी गयादीन के घर में बेटे नीलेश के तिलक को लेकर मंगलवार को खुशी का माहौल था। घर में महिलाएं ढोलक की थाप पर रीति-रिवाजों को निभा रही थीं। दरवाजे पर खुशनुमा माहौल में तिलक चढ़ाया जा रहा था। घरवालों के साथ ही रिश्तेदार, पड़ोसी सभी कार्यक्रम का आनंद ले रहे थे। तभी एक रिश्तेदार धर्मपाल ने अतिउत्साहित होकर हर्ष फाय¨रग कर दी और गोली चलने की आवाज के साथ ही सारी खुशियां गम में बदल गईं। एक पल पहले ताक-झांक करके तिलक चढ़ता देख रही मासूम मधु गोली लगने से तड़पते हुए मौत के आगोश में चली गई। वारदात के बाद मची अफरा-तफरी का फायदा उठाकर धर्मपाल अपनी बाइक छोड़कर भाग गया।

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न्यायालय द्वारा हर्ष फाय¨रग प्रतिबंधित होने के बाद भी ग्रामीण इलाकों में इस पर लगाम नहीं लग पा रही है। लाइसेंसी शस्त्रधारकों पर तो अंकुश लग गया, लेकिन अवैध हथियारों से होने वाली हर्ष फाय¨रग नहीं थम रही है। तिलक समारोह में हुई हर्ष फाय¨रग तीन परिवारों पर भारी पड़ गई। रमेश ने जहां अपनी बेटी मधु को खो दिया, वहीं उजाला देवी व रोहित अपनी ¨जदगी से जूझ रहे हैं। मधु गांव के ही प्राथमिक विद्यालय में कक्षा चार की छात्रा थी। रमेश के चार बच्चों में अब तीन ही बचे हैं, जिसमें बड़ी मोहनी देवी (16), चांदनी देवी (12) व मोहित कुमार (9) हैं। मधु भाई-बहनों में तीसरे नंबर की बच्ची थी। मधु की मौत से मां बबली देवी सहित परिवारीजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। प्राथमिक विद्यालय बड़वारी मांग में अध्यापक व बच्चों ने मधु की मौत के बाद स्कूल में उसकी आत्मा की शांति के लिए दो मिनट मौन रखा।


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