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दैवीय आपदा पर 72 घंटे के अंदर किसानों को देनी होगी सूचना

लखीमपुर जिलेभर में सोमवार की रात बारिश के साथ ही कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि भी हुई। जिससे फसलों को काफी नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 Feb 2020 10:57 PM (IST)Updated: Wed, 26 Feb 2020 10:57 PM (IST)
दैवीय आपदा पर 72 घंटे के अंदर किसानों को देनी होगी सूचना
दैवीय आपदा पर 72 घंटे के अंदर किसानों को देनी होगी सूचना

लखीमपुर: जिलेभर में सोमवार की रात बारिश के साथ ही कुछ स्थानों पर ओलावृष्टि भी हुई। जिससे फसलों को काफी नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में जिन किसानों ने अपनी फसल का बीमा कराया है वो 72 घंटे में टोल फ्री नंबर पर शिकायत दर्ज करा सकते हैं। विगत दिनों से असामयिक एवं ओलावृष्टि। फसल बीमा योजना रवी 2019 - 20 मौसम में प्रदेश के समस्त जिलों में संचालित कराई जा रही है। रबी मौसम की सभी प्रमुख फसलें गेहूं, जौ, चना, मटर, मसूर, लाही-सरसों, अलसी व आलू को ग्रामपंचायत स्तर पर अधिसूचित किया गया है। कवर किए गए जोखिमों में मध्यावस्था के अंतर्गत सूखा अथवा शुष्क स्थिति, ओला, भूस्खलन, तूफान, चक्रवात, जलभराव, आकाशीय बिजली से उत्पन्न आग एवं रोके न जा सकने वाले अन्य जोखिमों-रोगों, कृमियों से क्षति की स्थिति एवं स्थानिक आपदाओं के अंतर्गत खड़ी फसलों को ओलावृष्टि, जलभराव, भूस्खलन, बादल फटना, आकाशीय बिजली से उत्पन्न आग से क्षति की स्थिति में योजना के प्राविधानों के अनुसार बीमा कंपनियों द्वारा तात्कालिक सहायता के रूप में क्षतिपूर्ति भुगतान की जाती है। मौसम के अंत में फसल कटाई प्रयोगों के आधार पर फसल की आकलित कुल देय क्षतिपूर्ति की धनराशि में तात्कालिक रूप से भुगतान की गई क्षतिपूर्ति की धनराशि को समायोजित किया जाता है। प्रदेश के सभी बीमित कृषकों को घटना के 72 घंटे के अंदर घटना की सूचना बीमा कंपनी को प्रदेश के सभी बीमा कंपनियों के लिए संयुक्त टोलफ्री नंबर - 1800120909090 अथवा संबंधित बैंक शाखा एवं जिले के कृषि अथवा राजस्व विभाग के किसी भी स्तर के अधिकारी अथवा ग्राम प्रधान अथवा क्षेत्र पंचायत सदस्य के माध्यम से व्यक्तिगत दावा बीमा कंपनी को प्रस्तुत किया जाना आवश्यक है। बीमा कंपनी द्वारा जिला स्तर पर गठित समिति (कृषि, राजस्व एवं बीमा कंपनी के अधिकारी) द्वारा आपदा प्रभावित क्षेत्र में संयुक्त सर्वेक्षण के आधार पर फसलों की क्षति की आंकलित रिपोर्ट के अनुसार बीमित कृषकों को क्षतिपूर्ति दिए जाने का प्रावधान है।

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