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भारत-नेपाल मिलकर संवारेंगे हाथियों का कॉरिडोर

लखीमपुर शुक्लाफाटा नेशनल पार्क से लखीमपुर के मैलानी महेशपुर रेंज तक 29 साल पुराने ।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 09:36 PM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 06:06 AM (IST)
भारत-नेपाल मिलकर संवारेंगे हाथियों का कॉरिडोर
भारत-नेपाल मिलकर संवारेंगे हाथियों का कॉरिडोर

लखीमपुर : शुक्लाफाटा नेशनल पार्क से लखीमपुर के मैलानी, महेशपुर रेंज तक 29 साल पुराने हाथियों के कॉरिडोर को भारत-नेपाल मिलकर संवारेंगे। करीब 50-60 किमी लंबे इस प्राकृतिक कॉरिडोर को हाथियों के लिए मुफीद बनाया जाएगा। कॉरिडोर के निकट आबादी बसने और खेती करने पर रोक लगाई जाएगी। वन्यजीवों की सुरक्षा एवं उनके संरक्षण के लिए दोनों देशों के रेंजस्तर के अधिकारियों की बैठक भी जल्द ही कराई जाएगी।

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गत दिनों नेपाल के शुक्लाफाटा से मैलानी और महेशपुर रेंज तक हाथियों के पहुंचने से भारत और नेपाल के अधिकारियों की चिंता बढ़ गई है। शनिवार को नेपाल से आए चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन और भारत की ओर से दुधवा व बफरजोन के अधिकारियों के बीच लंबी चर्चा हुई। अफसरों ने बताया कि वर्ष 1990 में नेपाल से हाथियों का एक झुंड मैलानी के जंगलों तक आया था। तब से शुक्लाफाटा से हाथियों के समूह का आना-जाना बना हुआ है। विशेषज्ञ बताते हैं कि हाथियों की मेमोरी बहुत तेज होती है। वे रास्ते नहीं भूलते। हाल ही में शुक्लाफाटा से 25 हाथियों का झुंड यहां आया था। करीब 22 दिनों के बाद नेपाल लौट गया था। ऐसे में अगर हाथियों के कॉरिडोर क्षेत्र में खेती होगी या आबादी बसेगी तो हाथी लोगों को भारी नुकसान पहुंचाएंगे। तब इस परिस्थिति का सामना करना काफी मुश्किल होगा।

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अब होगी उच्चस्तरीय बैठक :

कॉरिडोर संवारने और वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर भारत-नेपाल के बीच अब उच्चस्तरीय बैठक होगी। सबसे पहले कंचनपुर के डीएफओ और दुधवा के अधिकारी हाथियों के मुद्दे पर रणनीति तैयार करेंगे। इसके बाद प्रदेश और नेपाली अधिकारियों के बीच बैठक में शिकार, तस्करी व शिकारी गिरोहों के संबंध में बैठक होगी।

शुक्लाफाटा से मैलानी के बीच हाथियों का पुराना कॉरिडोर है। इस कॉरिडोर को कवर रखने की जरूरत है। दोनों देशों में कॉरिडोर को संवारने पर सहमति बनी है।

-डॉ. अनिल पटेल, डीडी बफरजोन


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