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सीडीओ ने आरएएस पद्धति मत्स्य पालन का लिया जायजा

पंगेसियस (बैकरा) प्रजाति की मछली का जिले में इस पद्धति से पहली बार पालन किया जा रहा

By JagranEdited By: Published: Mon, 06 Jul 2020 11:19 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 06:07 AM (IST)
सीडीओ ने आरएएस पद्धति मत्स्य पालन का लिया जायजा
सीडीओ ने आरएएस पद्धति मत्स्य पालन का लिया जायजा

लखीमपुर : मुख्य विकास अधिकारी अरविद कुमार सिंह ने कस्ता में आरएएस तकनीक से जिले में पहली बार किए जा रहे मत्स्य पालन का निरीक्षण किया। प्रगतिशील किसान कमलेश मौर्या द्वारा पुनर्चक्रीय जलकृषि पद्धति से मत्स्य पालन के लिए चौबीस 25 गुणे 25 फिट के पक्के तालाबों का निर्माण कराया गया है। इस तकनीक से एक तालाब में 8000 मछली के बच्चों को रखने की क्षमता है। पंगेसियस (बैकरा) प्रजाति की मछली का जिले में इस पद्धति से पहली बार पालन किया जा रहा है। साथ में आए जिला मत्स्य अधिकारी संजय यादव ने बताया कि इस तकनीक से अच्छी देखभाल करने पर सात महीने में एक मछली एक किलो की हो जाती है। 25 गुणे 25 के एक तालाब से 80 क्विंटल तक की पैदावार हो सकती है। अधिकारी ने बताया कि इस तकनीक के अलावा इच्छुक किसान पांच एकड़ तक स्वयं का तालाब बनाने पर सरकार द्वारा सहायता प्रदान की जाती है।

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