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अमेरिका में पढ़कर देश की अर्थव्यवस्था सुधारेगा लखीमपुर का 'अनुराग', कोर्नल यूनिवर्सिटी से मिली स्कॉलरशिप

लखीमपुर के छोटे से गांव से निकलकर विद्याज्ञान तक पहुंचे अनुराग ने रचा इतिहास 98 फीसद से अधिक अंक पाने वाले अनुराग ने इतिहास और अर्थशास्त्र में हासिल किए 100 में 100 अंक।

By Anurag GuptaEdited By: Published: Thu, 16 Jul 2020 05:05 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jul 2020 11:18 AM (IST)
अमेरिका में पढ़कर देश की अर्थव्यवस्था सुधारेगा लखीमपुर का 'अनुराग',  कोर्नल यूनिवर्सिटी से मिली स्कॉलरशिप
अमेरिका में पढ़कर देश की अर्थव्यवस्था सुधारेगा लखीमपुर का 'अनुराग', कोर्नल यूनिवर्सिटी से मिली स्कॉलरशिप

लखीमपुर [धर्मेश शुक्ला]। अनुराग तिवारी अपनी मेधा के चलते लखीमपुर जिले में चर्चा का केंद्र हैं। जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर दूर गोला तहसील के परासन गांव में रहने वाले मेधावी अनुराग तिवारी अब अमेरिका की कॉर्नल यूनिवर्सिटी में पढ़ेंगे। इसके बाद उनका सपना देश की अर्थव्यवस्था का कायाकल्प करना है। उनका मानना है कि मौजूदा समय में ताकतवर देश सेना से युद्ध करने में विश्वास नहीं रखते बल्कि आर्थिक रूप से खुद को मजबूत रखने में भरोसा रखते हैं। इसलिए अपने देश की अर्थव्यवस्था का सुदृढ़ होना बेहद आवश्यक है।

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इन दिनों अनुराग तिवारी अपनी मेधा के चलते पूरे जिले में चर्चा का केंद्र हैं। उन्होंने इस वर्ष सीबीएसई बोर्ड की 12 वीं की परीक्षा में न केवल 98 फीसद से अधिक अंक हासिल किए बल्कि दो विषयों में 100 में 100 अंक प्राप्त कर अपने जिले व विद्याज्ञान शिक्षण संस्थान का भी नाम रोशन किया है। अनुराग के पिता कमलापति तिवारी किसान हैं। माता संगीता तिवारी गृहिणी हैं। तीन बहनों प्रतिभा, शिल्पी व प्रवीणा के बाद अनुराग घर में सबसे छोटे हैं। घर के सबसे छोटे सदस्य की इस बड़ी सफलता पर पूरा परिवार गदगद है।

अगला पड़ाव न्यूयार्क

अनुराग की मेधा को देखते हुए अमेरिका के न्यूयार्क स्थित कॉर्नल यूनिवर्सिटी ने उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप भी दी है। हालांकि, वहां प्रवेश के लिए अनुराग ने 2019 में ही आवेदन किया था। वह वहां पर अर्थशास्त्र विषय से उच्च शिक्षा हासिल करके अर्थशास्त्री बनना चाहते हैं। कॉर्नल विश्वविद्यालय एक ख्यातिलब्ध निजी अनुसंधान विश्वविद्यालय है। अमेरिका की आठ प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों की आइवी लीग में यह शामिल है। दुनिया के सर्वश्रेष्ठ 14 विश्वविद्यालयों में इसका शुमार है। अनुराग वहां अर्थशास्त्र की पढ़ाई करके देश की ग्रामीण अर्थव्यस्था को रफ्तार देने का अरमान संजोए हुए हैं। इसके पीछे वह अपने अर्थशास्त्र के शिक्षक को श्रेय देते हैं। कहते हैं कि उन्हीं ने इस विषय की ताकत समझाई।

सफलता कभी शार्टकट से नहीं मिलती

अनुराग अपनी कामयाबी का फलसफा बताते हुए कहते हैं कि सफलता कभी शॉर्टकट से नहीं मिलती। इसके लिए हमेशा कड़ी मेहनत ही करनी होती है। वह बताते हैं कि उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के प्राइमरी स्कूल में ही हुई। इसके बाद इंट्रेंस देकर 2013 में विद्याज्ञान स्कूल कमलापुर में उनका दाखिला कक्षा 6 में हुआ। यहां गुरुजनों से मार्गदर्शन मिला। यहां आकर समझ में आया कि सफलता के लिए लगन और परिश्रम जरूरी है।

 अनुराग को  मिले नम्बर

  • राजनीति शास्त्र - 99 फीसद
  • इतिहास- 100 फीसद
  • अर्थशास्त्र- 100 फीसद
  • गणित- 95 फीसद
  • अंग्रेजी- 97 फीसद

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