Move to Jagran APP

नेपाली हाथियों को भगाने के लिए दीवाली का इंतजार

घने जंगलों के बीच बसे करीब एक हजार से अधिक गांव इनदिनों नेपाल से आए हाथियों से प्रभातिव हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Oct 2021 10:29 PM (IST)Updated: Sun, 17 Oct 2021 10:29 PM (IST)
नेपाली हाथियों को भगाने के लिए दीवाली का इंतजार
नेपाली हाथियों को भगाने के लिए दीवाली का इंतजार

लखीमपुर : घने जंगलों के बीच बसे करीब एक हजार से अधिक गांव इनदिनों नेपाल से आए हाथियों से सबसे ज्यादा परेशान हैं। 20 से 22 हाथी जंगलों से निकल कर किसानों की पकी पकाई फसलों को रौंद रहे हैं। परेशानी यही तक सीमित नहीं है। हाथी इंसानों पर भी हमला कर उन्हें मार डाल रहे हैं। इन सबके बीच हैरान करने वाली बात ये है कि सुरक्षा के जिम्मेदार वन विभाग के पास आक्रामक हो रहे हाथियों से निपटने के लिए कोई इंतजाम नहीं कर पाया है।

loksabha election banner

आबादी क्षेत्र से हाथियों को भगाने के लिए अधिकारियों के पास बस एक ही उपाय बचा है। उन्हें दीवाली का इंतजार बेसब्री से इंतजार है। अधिकारी कहते हैं कि दीवाली में पटाखों के शोर के कारण हाथी वापस लौट जाएंगे। तर्क है कि 2019 में भी हाथियों का दल पटाखों का शोर सुनकर ही वापस लौटा था। वन विभाग को उम्मीद है कि इस बार भी दीवाली से हाथी सीमा पारकर नेपाल वापस लौट जाएंगे। नेपाल से पीलीभीत में दाखिल होकर हाथियों का झुंड किशनपुर, मैलानी, महेशपुर रेंज में सबसे ज्यादा खतरा रहता है। अब तक इन रेंजों में हाथी एक व्यक्ति को कुचल चुके हैं। इसके अलावा 100 एकड़ से ज्यादा फसल रौंद चुके हैं और निर्माण ध्वस्त कर चुके हैं। मृतक के परिवारजन को नहीं दिया मुआवजा चौकाने वाला तथ्य यह है कि तराई में वर्षों से हाथियों का उत्पात जारी है, लेकिन वन विभाग की ओर से किसानों या मृतक के परिवारजन को कोई मुआवजा तक नहीं दिया गया है। किसानों में आक्रोश है कि वन विभाग कोई कदम नहीं उठा रहा। पिछले दिनों मैलानी रेंज नाराज किसानों ने वनदरोगा, गार्ड तथा वाचर को बंधक बना लिया था। बड़े अधिकारियों के दखल के बाद उन्हें रिहा किया गया था। सब्र रखें और सहयोग करें ग्रामीण वन विभाग के पास ठोस इंतजाम न होने के कारण ग्रामीणों से सब्र व सहयोग की अपील की जा रही है। डीडी बफरजोन डॉ. अनिल पटेल कहते हैं कि दीवाली को 15 से 17 दिन बचे हैं। पटाखों के शोर से हाथी लौट जाएंगे। ग्रामीण भी सजग रहें और हाथियों के नजदीक न जाएं। जंगल के अंदर हाथियों को भगाना संभव नहीं है। दुधवा के गैंडा परिक्षेत्र में हाथी फेंसिग तोड़ दे रहे हैं। कई जगह खाई खोदवाई गई थी, उन्हें भी हाथियों ने पैरों से भर दिया। ऐसे में हाथियों को रोक पाना मुश्किल हो रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.