वकालत छोड़ शौकिया लगाई बागवानी, अब बनाया व्यवसाय
12 एकड़ में फलदार पौधे रोपकर कमा रहे लाखों रुपये। सुरेश चंद्र का नाता पर्यावरण से ऐसा जोड़ा कि अब वे इलाके में बड़े बागवान के नाम से मशहूर हो गए हैं। अब वकालत छोड़कर बागवानी को ही अपना व्यवसाय बना लिया है।
लखीमपुर: बेहजम क्षेत्र के गांव सकेथू निवासी अधिवक्ता सुरेश चंद्र वर्मा पहले वकालत करते थे लेकिन, पौधा लगाने के शौक ने उनका नाता पर्यावरण से ऐसा जोड़ा कि अब वे इलाके में बड़े बागवान के नाम से मशहूर हो गए हैं। अब वकालत छोड़कर सुरेश चंद्र ने बागवानी को ही अपना व्यवसाय बना लिया है।
वर्ष 1983 में बीए व एलएलबी करने के बाद सुरेश ने 1990 तक सिविल कोर्ट लखीमपुर में वकालत की। उसके बाद अपने पैतृक गांव में पिता श्याम लाल वर्मा द्वारा लगाई गई चार से पांच एकड़ बाग से प्रभावित होकर उनके काम में हाथ बंटाना शुरू किया। उन्होंने शुरुआत में शौकिया कुछ फलदार पौधे लगाए लेकिन, जब फलों का उत्पादन देखा तो बड़े पैमाने पर पौधों का रोपण करने लगे। पैतृक जमीन पर कोई खास खर्चा न होने के कारण उन्होंने बागवानी को ही अपना व्यवसाय बनाने का फैसला लिया। 10 से 12 एकड़ जमीन पर केवल पौधे ही लगाए। ये पौधे अब बड़े हो गए हैं, जिनसे प्रतिवर्ष लाखों रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं। उनकी बाग में आम, कटहल, आंवला जैसे फलदार पौधों के साथ-साथ खेतों की मेड़ पर काफी संख्या में सागौन के पेड़ भी लगे हैं। एक साल से दो एकड़ में बांस तथा 200 लीची के पौधे भी लगा दिए हैं।
बागवानी के साथ खेती भी कर रहे सुरेश बागवानी के साथ सुरेश अन्य फसलों गन्ना, धान, सरसों, मसूर, अदरक का भी उत्पादन करते हैं। इसके साथ खेतों पर काम करने वाले लोगों के लिए सब्जियों भी उगाते हैं। इस साल से सुरेश ने अपने खेतों में जैविक खादों का प्रयोग शुरू किया है। रसायनिक खादों का उपयोग बंद कर दिया है।