बाढ़ की आपदा से बचाने को मिला 25 लाख का बजट
संवादसूत्र लखीमपुर जिले में पिछले पांच दिनों से रुक-रुक कर हो रही तेज बारिश से बाढ़ के हालात बनने लगे हैं। इससे निपटने के लिए प्रशासन भी हरकत में आ गया है।
लखीमपुर: जिले में पिछले पांच दिनों से रुक-रुक कर हो रही तेज बारिश से बाढ़ के हालात बनने लगे हैं। जिले को बाढ़ से महफूज रखने के लिए शासन ने फौरी तौर पर प्रशासन को 25 लाख रुपये सहायता राशि अवमुक्त कर दी है। जिससे जिले के निघासन, पलिया, धौरहरा लखीमपुर तहसील क्षेत्र में बाढ़ से होने वाली तबाही से राहत पहुंचाई जा सके। बैराजों से पानी के डिस्चार्ज से प्रशासन ने यह भी अंदाजा लगा लिया है कि कहां, किस क्षेत्र में बाढ़ के जल्द आने की संभावना है और वहां पर एनडीआरएफ की कितनी टीमें तैनात की जानी हैं। राहत सामग्री भेजने के संबंध में भी निर्देश दिए गए हैं। अभी बाढ़ का सबसे बड़ा खतरा पलिया और निघासन तहसील क्षेत्रों में है, जहां शारदा मोहाना जैसी नदियां तेजी से आगे बढ़ रही हैं। वहीं प्रशासन ने भी बाढ़-कटान को लेकर तैयारियां शुरू कर दी है। डीएम शैलेंद्र कुमार सिंह ने बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा कर बचाव कार्य में जुटने का निर्देश दिया है।
पिछले वर्ष बाढ़ से हुए नुकसान का आंकड़ा
वर्ष 2018-19 में लखीमपुर, मोहम्मदी, निघासन, धौरहरा, गोला, पलिया, मितौली के 1797 ग्रामों के 107 गांवों बाढ़ से 58502 की जनसंख्या प्रभावित हुई। सभी तहसीलों में 7529.489 हेक्टेयर क्षेत्रफल में 3753.948 हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई। आंकड़ों में बताया कि बाढ़ से 15 गांव पूरी तरह जलमग्न रहे हैं, जो सकी नहीं है। कुल 10 जनहानि और छह पशुहानि हुई है।
इस वर्ष 72 राजस्व गांवों के प्रभावित होने की आशंका
प्रशासन को इस वर्ष लखीमपुर के 16, निघासन के 19, धौरहरा के 22, गोला के दो, पलिया के 10 राजस्व गांवों के 200 गांवों के बाढ़ से प्रभावित होने की आशंका है। इससे 218934 जनसंख्या प्रभावित होगी।
जानिए कितनी नाव और गोताखोर लगेंगे
इन गांवों के लिए प्रशासन की ओर से 348 नावों की व्यवस्था की है। बाढ़ में डूबने पर लोगों को बचाने के लिए 79 गोताखोर लगाए गए हैं। इसके अलावा 41 स्वास्थ चौकियां और 20 बाढ़ राहत केंद्र बनाए गए हैं।