हिमस्खलन की चपेट में आकर दुमही का जवान शहीद
सेवरही थानाक्षेत्र के ग्राम पंचायत दुमही निवासी व जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा जिला के मच्छल सेक्टर में तैनात सेना के जवान चंद्रभान चौरसिया (28) पुत्र राजबलम चौरसिया सोमवार की रात हिमस्खलन की घटना में शहीद हो गए। सुबह दस बजे पिता के मोबाइल फोन पर खबर आते ही गांव में शोक की लहर दौड़ गई। सूबेदार मेजर रैंक के अधिकारी की काल को जवान की पत्नी पिकी ने पिक किया तो कहा गया पिता से बात कराइए।
कुशीनगर : सेवरही थानाक्षेत्र के ग्राम पंचायत दुमही निवासी व जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा जिला के मच्छल सेक्टर में तैनात सेना के जवान चंद्रभान चौरसिया (28) पुत्र राजबलम चौरसिया सोमवार की रात हिमस्खलन की घटना में शहीद हो गए। सुबह दस बजे पिता के मोबाइल फोन पर खबर आते ही गांव में शोक की लहर दौड़ गई। सूबेदार मेजर रैंक के अधिकारी की काल को जवान की पत्नी पिकी ने पिक किया तो कहा गया पिता से बात कराइए।
अधिकारी ने पिता राजबलम को बताया कि प्वाइंट पर चार अन्य साथियों के साथ तैनात चंद्रभान एवलांच की चपेट में आ गए। सूचना पर पहुंची रेस्क्यू टीम बर्फ में फंसे जवानों को लेकर आ रही थी, इसी दौरान चार जवानों ने दम तोड़ दिए। इतना सुनते ही पिता सदमे में आ गए। पत्नी पिकी का रो-रोकर बुरा हाल है। जानकारी मिलने पर शहीद के ससुर त्रिवेणी शर्मा, प्रधान रामबिहारी राय, पूर्व प्रधान रामचंद्र राय, जितेंद्र गुप्ता, राजन सिंह आदि मौके पर पहुंच गए व शोक संतप्त परिजनों को समझाने में लगे रहे।
सेना के अधिकारी ने बताया कि बुधवार को दोपहर बाद शहीद का पाíथव शरीर गांव लाया जाएगा जहां राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार होगा। शहीद अपने पीछे पिता, पत्नी पिकी (26), पुत्र आर्यन (दो), आयुष (एक) को छोड़ गए हैं।
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प्रकृति ही जवानों की सबसे बड़ी दुश्मन : लांसनायक केदारजागरण संवाददाता, राजापाकड़, कुशीनगर : जम्मू के कुंजवानी चौक पोस्ट पर तैनात तमकुही विकास खंड के ग्राम पंचायत बरवा राजापाकड़ के निवासी लांसनायक केदार शाह बीते तीन जनवरी को छुट्टी पर घर आए हैं। चन्द्रभान की शहादत की खबर पर संवेदना व्यक्त करने पहुंचे लांसनायक ने बताया कि नियंत्रण रेखा पर पहाड़ पर तैनात जवानों को पाकिस्तानी सैनिकों से डर नहीं लगता।
यहां नेचर ही जवानों की सबसे बड़ी एनिमी है। जाड़े के मौसम बर्फबारी सबसे ज्यादा दुश्वारी लाती है। माइनस तापमान में सामान्य दिनचर्या में मुश्किल आती है। बरसात के दिनों में भूस्खलन जानलेवा साबित होता है। इसके बावजूद जवान पूरी मुस्तैदी डटे रहते हैं।