ढूंढे नहीं मिल रहे 13 ग्राम पंचायतों को प्रधान
कुशीनगर के सात विकास खंडों के 13 अनुसूचित जनजाति के सीटों पर ढूंढे प्रधान नहीं मिल रहे हैं। अक्टूबर 2015 में हुए सामान्य त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अनुसूचित जनजाति की इन सीटों पर लगभग पांच साल में प्रत्याशी न मिलने से ग्राम पंचायत का गठन नहीं हो पाया। सातवीं बार फरवरी 2020 में उपचुनाव के बाद रिक्त पद खाली ही रह गईं।
कुशीनगर : कुशीनगर के सात विकास खंडों के 13 अनुसूचित जनजाति के सीटों पर ढूंढे प्रधान नहीं मिल रहे हैं। अक्टूबर 2015 में हुए सामान्य त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अनुसूचित जनजाति की इन सीटों पर लगभग पांच साल में प्रत्याशी न मिलने से ग्राम पंचायत का गठन नहीं हो पाया। सातवीं बार फरवरी 2020 में उपचुनाव के बाद रिक्त पद खाली ही रह गईं। 2016 में फरवरी व सितंबर, 2017 जून, 2018 फरवरी व अगस्त, 2019 जून के उपचुनाव में भी किसी ने नामांकन नहीं किया। हालत यह है कि ब्लाक स्तर पर संबंधित गांवों में मुनादी कराने के बाद उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं। इसकी वजह से संबंधित ग्राम पंचायतों में विकास कार्य प्रभावित है।
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ग्रामीण बोले, सर्वे में हुई मनमानी
ग्रामीणों में नरेश, हेमंत कुमार, पिटू, कपिलदेव का आरोप है कि 2011 की जनगणना को आधार बनाकर पंचायतीराज विभाग ने रैपिड सर्वे कराया था, जिसमें अनुसूचित जनजाति के लोगों की संख्या नगण्य होने के बाद भी संबंधित गांवों का नाम आरक्षित कर दिया गया। दावे व आपत्तियों पर भी सुनवाई नहीं हुई, जिसकी खामियाजा सभी भुगत रहे हैं।
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यह है प्रधान पद की रिक्त सीटें
विकास खंड ग्राम पंचायत का नाम आरक्षण वर्ग
खड्डा- नरायनपुर अनु. जनजाति
खड्डा- फटकदौना अनु. जनजाति महिला
खड्डा- मलहिया- अनु. जनजाति
तमकुहीराज- अहलादपुर- अनु.जनजाति महिला
दुदही- किरत पट्टी- अनु. जनजाति महिला
नेबुआ नौरंगिया- कौवासार- अनु. जनजाति महिला
नेबुआ नौरंगिया- बगलहा- अनु. जनजाति
पडरौना- सोहरौना- अनु. जनजाति
पडरौना- चौपरिया- अनु. जनजाति महिला
पडरौना- रामपुर- अनु. जनजाति महिला
रामकोला- धर्मसमदा- अनु. जनजाति
सेवरही- हफुआ जीवन- अनु. जनजाति महिला
सेवरही- डुमरिया- अनु. जनजाति
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किस स्तर पर कहां गड़बड़ी हुई है, इसकी जांच करा निर्वाचन विभाग को पत्र भेजा जाएगा। निर्देशानुसार अगली कार्रवाई होगी।
डॉ. अनिल कुमार सिंह, डीएम, कुशीनगर