धूप व धुंध की आंख मिचौली, गलन बरकरार
कुशीनगर में मौसम का सितम जारी है जिले में कई जगहों पर हुई हल्की बारिश की वजह से ठंड बढ़ गई है अब भी सार्वजनिक स्थलों पर अलाव नहीं जलाए जा रहे हैं लोग कागज गत्ता व पुआल जलाकर खुद को गर्म रखने की कोशिश कर रहे हैं।
कुशीनगर : पांच दिन से गलन भरी ठंड से लोगों को राहत नहीं मिल रही है। गुरुवार को धूप व धुंध की आंख मिचौली की वजह से लोगों को ठंड से राहत नहीं मिली। कुछ समय के लिए जिले में कहीं-कहीं हल्की बारिश भी हुई। गलन के कारण सार्वजनिक स्थलों पर सन्नाटा बना रहा, दुकानों पर भी भीड़ कम रही। सर्द हवाओं की वजह से ठंड बढ़ती गई और कहीं भी अलाव की व्यवस्था नहीं दिखी।
लगातार बदल रहे मौसम की मार से हर कोई बेहाल दिखा। आमजन ठंड से बचाव का उपाय करते रहे तो पशु-पक्षी परेशान दिखे। नगरीय इलाकों में चौक-चौराहों पर अलाव की व्यवस्था न होने से ठेला-खोमचा व रिक्शा चालक गत्ता व कागज जलाकर शरीर को गर्मी पहुंचा रहे हैं। बस स्टैंड व रेलवे स्टेशन पर यात्री ठिठुरने को मजबूर रहे। दिन ढलने के बाद सड़कें सूनी हो गईं, लोग काम निपटाकर घरों में दुबक गए। छावनी मोहल्ले के मुमताज अहमद, गरुणनगर के राजकुमार, गुदरी बाजार के मनोहर जायसवाल आदि ने कहा कि ठंड बढ़ती जा रही है। शहर में अलाव चलवाने को लेकर गंभीरता नहीं दिख रही है।
अलाव न जलने से आमजन परेशान
लक्ष्मीगंज क्षेत्र के सार्वजनिक जगहों पर अलाव की व्यवस्था न होने की वजह से लोग ठिठुरने को विवश हैं। सरकारी व गैर सरकारी संस्थानों के परिसर में भी अलाव नहीं जल रहे हैं। सबसे अधिक दिक्कत अस्पताल में आने वाले मरीजों व उनके तीमारदारों को हो रही है।
नौरंगिया में रैन बसेरा बनवाने की मांग
नौरंगिया तिराहे पर स्थित बस स्टैंड से आसपास के गांवों के अलावा सीमावर्ती बिहार के सैकड़ों लोग गोरखपुर व देवरिया जाते-आते हैं। दिन ढलने के बाद ग्रामीण क्षेत्र में जाने के लिए कोई साधन नहीं मिलता है। इस वजह से कई यात्रियों को ठंड में भटकना पड़ता है। अगर यहां रैन बसेरा बन जाता तो लोगों को राहत मिल जाती।
दवा व्यवसायी दिलीप शर्मा ने कहा कि नौरंगिया तिराहे पर रैन बसेरा बनाने की मांग लगातार की जा रही है। बिहार के लोग दूर-दराज जाने के लिए यहां से बस पकड़ते हैं। ठंड की रात में उन्हें दिक्कत होती है। पृथ्वी गुप्त का कहना है कि नौरंगिया तिराहे पर सौ से अधिक दुकाने हैं। यहां से गोरखपुर व अन्य जगहों के लिए बस मिलती है। जाड़े में यहां रैन बसेरा जरूरी है। महेश, प्रदीप, रमेश, असलम, दया, राजू, इस्त्याक आदि दुकानदारों ने प्रशासन से रैन बसेरा बनवाने की मांग की।