मानव जाति का कल्याण ही बुद्ध का मूल सिद्धांत
सभी मतों व संप्रदायों का लक्ष्य अछे शासन और समाज का निर्माण है। जिलाधिकारी एस राजलिगम ने कहा कि बौद्ध सम्मेलन में पीएम सीएम व अन्य भरतीय और विदेशी अतिथियों के आने से कुशीनगर का महत्व और भी बढ़ा है। कुशीनगर के बुद्ध से संबंधित अन्य स्थलों को भी विकसित किया जाएगा।
कुशीनगर: महापरिनिर्वाण बुद्ध मंदिर परिसर में उप्र पर्यटन, संस्कृति विभाग व अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में चल रहे विश्व शांति में बौद्ध धर्म की उपादेयता विषयक बौद्ध सम्मेलन में विद्वानों ने अपनी बातें रखीं। तीन दिवसीय सम्मेलन में यह बात छनकर आई कि मानव जाति का कल्याण ही बुद्ध का मूल सिद्धांत है। इस राह पर चलने से विश्व में शांति कायम होगी और जीवन का भी उत्थान होगा। बुद्ध के सिद्धांतों की प्रासंगिकता कल भी थी और आज भी है, कल भी रहेगी।
अंतिम दिन शुक्रवार को मुख्य वक्ता अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के अध्यक्ष भंते शांतिमित्र ने कहा कि भगवान बुद्ध के मूल उपदेश में मानव जाति का कल्याण करना निहित है। बुद्ध का विश्व शांति का संदेश पुन: हम सभी के माध्यम से कुशीनगर से प्रारंभ होकर देश ही नहीं, संपूर्ण विश्व में जाए, यही इस सम्मेलन की उपादेयता है। सभी मतों व संप्रदायों का लक्ष्य अच्छे शासन और समाज का निर्माण है। जिलाधिकारी एस राजलिगम ने कहा कि बौद्ध सम्मेलन में पीएम, सीएम व अन्य भरतीय और विदेशी अतिथियों के आने से कुशीनगर का महत्व और भी बढ़ा है। कुशीनगर के बुद्ध से संबंधित अन्य स्थलों को भी विकसित किया जाएगा। बौद्ध दर्शन संस्कृत विश्वविद्यालय अगरतला (त्रिपुरा) के प्रोफेसर डा. अवधेश कुमार चौबे ने कहा कि बौद्ध दर्शन, समस्त दर्शनों का समुच्चय है। भगवान बुद्ध की करुणा केवल मनुष्यों के लिए नहीं वरन समस्त प्राणियों के लिए है। राष्ट्रीय सिख संगत उप्र व उत्तराखंड के अध्यक्ष सरदार मंजीत सिंह ने कहा कि समाज के लिए मरने वाला सदैव जीवित रहता है। आपस में लड़ने से राष्ट्र कमजोर होता है। यदि हम एक नहीं हुए तो राष्ट्र गुलाम हो जाएगा। गुरुनानक देव ने भी नेपाल में रहकर बुद्ध का उपदेश दिया था। कुप्पुस्वामी (तमिलनाडु), भंते शीलरत्न आदि ने भी संबोधित किया। आभार ज्ञापन करते हुए बुद्ध पीजी कालेज कुशीनगर के इतिहास विभाग के प्रोफेसर डा. अंबिका प्रसाद तिवारी ने कहा कि बुद्ध ने उस मानवता का संदेश दिया, जहां जाति, धर्म, संप्रदाय व राष्ट्र की सीमाएं नहीं होतीं। भंते आर्यवंश व प्राचार्य डा. अमृतांशु कुमार शुक्ल ने कहा कि बौद्ध धर्म मानव को बंधुत्व के सूत्र में आबद्ध रखने में आज भी सक्षम है। तरुणेश, डा. राकेश सिंह, विजय विक्रम सिंह, आरटीओ रवींद्र कुमार, डा. कल्याण सिंह, संजीव कुमार उपाध्याय, यमुना प्रसाद आदि उपस्थित रहे।