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गांव से लेकर शहर तक ऐसे बदली दिनचर्या

समय का सदुपयोग करने के लिए बदल दी दिनचर्या -बड़े पुस्तक पढ़ने तो बचे चित्रांकन व इंडोर गेम में रहे मस्त

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Apr 2020 09:58 PM (IST)Updated: Wed, 01 Apr 2020 09:58 PM (IST)
गांव से लेकर शहर तक ऐसे बदली दिनचर्या
गांव से लेकर शहर तक ऐसे बदली दिनचर्या

पडरौना, कुशीनगर : लाकडाउन के कारण घरों में सिमटे लोगों ने उम्र के हिसाब से समय व्यतीत करने का अलग-अलग तरकीब निकाल लिया है। उम्रदराज लोगों ने धार्मिक पुस्तक, उपन्यास, अखबार, मैगजीन पढ़ना शुरू कर दिया है। घर में सिमटे बच्चों की बोझिल दिनचर्या अभिभावकों को भारी पड़ रही है। बच्चों के मनोरंजन के लिए कैरम, लूडो, शतरंज खेलने की पूरी आजादी दी गई है। पेंटिग, छायाचित्र बनाकर युवतियां अपनी प्रतिभा को निखार रही हैं। गृहणियां घर की साफ-सफाई व पकवान बनाने में व्यस्त रहने लगी हैं।

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ड्राइंग बना निखार रही हुनर

-नौकाटोला में केश्वर त्रिपाठी के घर प्रगति व चुनमन ने अपने शौक पेंटिग को परवान चढ़ाना शुरू कर दिया है। विभिन्न डिजाइन बनाकर अलग-अलग रंग भरने में घंटों जाया हो रहा है। लाकडाउन में बच्चे कैद होकर रह गए हैं। इसे 14 अप्रैल को खत्म कर देना चाहिए। प्रगति ने कहा पूरे दिन टीवी नहीं देखा जा सकता। चुनमुन ने कहा कि मोबाइल एप्प के जरिये ज्ञान का अर्जन व विभिन्न प्रकार के डिजाइन, छायाचित्र, कार्टून बनाने की कला सीख रहे हैं।

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कैरम, लूडो में रमा रहे मन

-बाहर खेलने की सख्त मनाही है तो इंडोर गेम को लेकर बच्चे उत्साहित हैं। देवगांव में सुरेश के घर खुशी, अंशिका, आदर्श आदि बच्चों ने कैरम खेलकर अपना समय बिताया। अंशिका ने कहा लाकडाउन जीवन को बचाने के लिए जरूरी है। आदर्श ने कहा स्कूल बंद होने से समय नहीं कट रहा है। टीवी देखते समय बिजली कट जा रही है। खुशी ने कहा जल्दी स्कूल खुल जाता तो बच्चों की पढ़ाई बाधित नहीं होती।

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समय पास करना कोई इनसे सीखे

-आवास विकास कालोनी निवासी व व्यापार मंडल के अध्यक्ष जगदंबा अग्रवाल ने समय व्यतीत करने का बेहतर तरकीब निकाला है। भागदौड़ की दिनचर्या से मुक्ति मिलने पर परिवार के सदस्यों के साथ दोनों वक्त की सब्जी काटने का जिम्मा ले चुके हैं। कहते हैं घरेलू कार्य में हाथ बंटाना बहुत अच्छा लगता है। लाकडाउन कोरोना बचाव का बेहतर विकल्प है। हर आदमी को घर में रहकर लाकडाउन का अनुपालन करना चाहिए।

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इनसे मिलिए

-साहबगंज में व्यवसायी सचिन चौरसिया के बेटे आरव चौरसिया घर में कैद होकर लाकडाउन खोलवाने की जिद पापा से करते हैं। कहते हैं घरों में कैद होने से सारी खुशियों पर पहरा लग गया है। न तो दोस्त आते न ही उनके घर जाने दिया जाता है। घर में बैठे-बैठे बोरिंग हो रही है। कहा मम्मी के साथ लूडो खेलने, पेंटिग करने में मेरा समय निकल रहा है। स्कूल में बच्चों के साथ समय अच्छे से कट जाता था। बंदी से घर में मन नहीं लग रहा है।

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कैद हुआ बचपन

-कोरोना की वजह से बच्चों का बचपन घरों में कैद हो गया है। मन बहलाने के लिए कभी पढ़ चुके पाठ्य पुस्तकों के रिवीजन में बच्चे व्यस्त हो रहे हैं तो कभी लूडो व सांप-सीढ़ी का खेल खेलकर टाइम पास कर रहे हैं। कसया में शहीद अमिय नगर में चंद्रभूषण पांडेय के घर गरिमा व परिधि ने लूडो खेलकर समय बिताया। कहा कि सरकार को लाकडाउन हटाकर न सिर्फ आवाजाही बहाल करनी चाहिए बल्कि अपने घर आने के लिए परेशान लोगों को घर पहुंचाने की व्यवस्था सरकार को बनवानी चाहिए।


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