अपनों से दूर रहकर पीड़ितों की कर रहीं सेवा
संयुक्त महिला अस्पताल छितौनी में तैनात डा. इंदू सिंह अपने 85 वर्षीय पिता दर्शन की देखभाल के साथ रैपिड रिस्पांस टीम का नेतृत्व कर रही हैं। एक माह पहले मार्ग दुर्घटना में हेयर लाइन फ्रैक्चर व सोल्डर पेन के बावजूद एक हाथ को कंधा से लटकाकर कोरोना संक्रमितों के घर पहुंच का दवा वितरण और जांच कार्य कर रही हैं।
कुशीनगर: कोरोना के संक्रमण के दौर में सबको अपनी जान की पड़ी है। खुद को बचाते हुए अपनों की सुरक्षा को सभी प्राथमिकता दे रहे हैं। दूसरी ओर कुछ चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी ऐसे भी हैं जो अपनों से दूर रहकर पीड़ितों की सेवा कर रहे हैं। इंसानियत के फर्ज को ज्यादा अहमियत देते हुए लोगों की जिदगी बचाने में जुटे हैं। उनके दुधमुंहा बच्चे की देखभाल स्वजन कर रहे हैं तो नेत्रहीन सास की परवरिश बेटियों के भरोसे है।
संयुक्त महिला अस्पताल छितौनी में तैनात डा. इंदू सिंह अपने 85 वर्षीय पिता दर्शन की देखभाल के साथ रैपिड रिस्पांस टीम का नेतृत्व कर रही हैं। एक माह पहले मार्ग दुर्घटना में हेयर लाइन फ्रैक्चर व सोल्डर पेन के बावजूद एक हाथ को कंधा से लटकाकर कोरोना संक्रमितों के घर पहुंच का दवा वितरण और जांच कार्य कर रही हैं। डा. इंदू कहती हैं कि सेवा के लिए जान की परवाह नहीं है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खड्डा के रैपिड रिस्पांस टीम की सदस्य फिजियोथेरपिस्ट सीमा यादव पड़ोसी जनपद महाराजगंज के निचलौल तहसील के बढ़या फार्म गांव की रहने वाली हैं। वह दो बच्चों की मां भी हैं, छोटा बच्चा डेढ़ वर्ष का है। पिछले साल महामारी फैली तो ससुर फुलेना यादव व सास मालती देवी ने उन्हें घर रहने की सलाह दी। सीमा ने कहा कि इस समय परिवार के साथ-साथ समाज के प्रति भी जिम्मेदारी निभानी है। अपने दूधमुंहा बच्चे को सास की गोद में छोड़ संक्रमितों की देखभाल में जुटी हैं। संयुक्त महिला अस्पताल छितौनी में एएनएम पद पर तैनात भगवानी देवी टीकाकरण टीम में शामिल हैं। वह गोरखपुर के जंगल कौड़िया के रसूलपुर चकिया की रहने वाली हैं। भगवानी बताती हैं कि सांस सूरसती देवी नेत्रहीन हैं। दोनों बेटियों व बेटे के सहारे उन्हें छोड़कर ड्यूटी कर रही हूं।