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विश्व कल्याण व कोरोना की शांति के लिए हुई विशेष पूजा

कुशीनगर में एबी ज्ञानेश्वर बुद्ध विहार में हुआ आयोजनदीप जलाकर रोशन किया गया बुद्ध विहार।

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 May 2021 12:24 AM (IST)Updated: Fri, 28 May 2021 12:24 AM (IST)
विश्व कल्याण व कोरोना की शांति के लिए हुई विशेष पूजा
विश्व कल्याण व कोरोना की शांति के लिए हुई विशेष पूजा

कुशीनगर: एबी ज्ञानेश्वर बुद्ध विहार में बुद्ध पूर्णिमा के दिन बुधवार की शाम विश्व कल्याण व वैश्विक महामारी कोरोना की शांति के लिए अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के पूर्व अध्यक्ष भंते महेंद्र के नेतृत्व में रत्नसुत्त का पाठ किया गया।

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भंते ने कहा कि भगवान बुद्ध के समय में भी वैशाली में महामारी फैली थी। बुद्ध द्वारा प्रतिपादित रत्नसुत्त के पाठ के बाद महामारी समाप्त हो गई थी। बुद्ध पूर्णिमा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस दिन तथागत का जन्म, बुद्धत्व प्राप्ति और महापरिनिर्वाण हुआ था। बुद्ध विहार पर दीप जलाकर रोशन किया गया था। कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए उपासकों, उपसिकाओं को प्रसाद के रूप में खीर का दान किया गया। भंते विनय, भंते सुमित, भंते आनंद, दयाशंकर यादव, चंद्रभूषण यादव, सुभाष प्रसाद गुप्त, जेपी यादव, रामकृपाल कुशवाहा, सुबोध कुमार, सुनीता शर्मा, सिद्धांत, हेमा राव, बाबूलाल यादव, अवधेश सिंह, उदयभान यादव, सूर्यप्रकाश मिश्र, शम्भू कुशवाहा, प्रग्यांक शर्मा, शारदा यादव, रामध्यान यादव आदि उपस्थित रहे।

संरक्षण के लिए प्राचीन स्मारकों का निरीक्षण

अंतरराष्ट्रीय पर्यटक केंद्र कुशीनगर स्थित महापरिनिर्वाण बुद्ध मंदिर परिसर के प्राचीन स्मारकों का सीजन की पहली बारिश के बाद संरक्षण, साफ-सफाई, जलजमाव, विद्युत व्यवस्था आदि को लेकर भारतीय पुरातत्व संरक्षण के संरक्षण सहायक शादाब खान ने गुरुवार को निरीक्षण किया।

उन्होंने कर्मचारियों को रख-रखाव के लिए आवश्यक निर्देश दिए। इस दौरान अनावश्यक विद्युत तारों को हटाया गया। फिलहाल बारिश का पानी स्मारकों में जमा नहीं हुआ है। स्मारकों पर उग रहे पौधों व खरपतवार को शीघ्र साफ करने का निर्देश दिया गया, ताकि उससे होने वाले क्षरण को रोका जा सके । कई स्थान पर क्षतिग्रस्त स्मारकों के संरक्षण का कार्य विभागीय अनुमति मिलने के बाद कराया जाएगा। भारतीय पुरातत्व संरक्षण सहायक ने बताया कि क्षतिग्रस्त स्मारकों के संरक्षण के लिए सारनाथ मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद को एस्टीमेट भेजा गया है। अनुमोदन मिलने के बाद कार्य कराया जाएगा।


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