कठिन समय में धैर्य बनाए देने का संदेश देता है रामायण
दर्शकों की पूर्व की यादें ताजा हो गई हैं। घर-घर में लोगों की दिनचर्या काफी बदल गई है।
कुशीनगर : कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन में टेलीविजन पर शुरू किए गए रामायण व महाभारत ने परिवार को एक साथ रहने का मौका दिया है। इससे दर्शकों की पूर्व की यादें ताजा हो गई हैं। घर-घर में लोगों की दिनचर्या काफी बदल गई है।
सुबह चाय के साथ नौ बजे लोग दूरदर्शन पर रामायण देखने के लिए बैठ जा रहे हैं तो 12 बजे भोजन के बाद डीडी भारती पर महाभारत देख रहे हैं। पुन: रात सात बजे महाभारत तो नौ बजे रामायण का लुत्फ उठा रहे हैं। दूरदर्शन पर प्रसारित हो चुके रामायण व महाभारत का तीन दशक बाद पुन: प्रसारण इस गाढ़े वक्त में हर किसी की जरूरत बनने लगी है। इसे काफी सराहा जा रहा है। लॉकडाउन में घर में बोर हो रहे लोगों ने इससे काफी राहत की सांस ली है।
कसया ओम प्रकाश वर्मा के घर गुरुवार को उनके परिवार के सदस्य व बच्चों ने रामायण का प्रसारण देखा। इन्होंने कहा कि दूरदर्शन पर पुराने धारावाहिक श्रीकृष्णा, अलिफ लैला, अलाददीन का चिराग का भी प्रसारण होना चाहिए। कहा कि रामायण कठिन समय में धैर्य के साथ परिस्थितियों का सामना करने का संदेश देता है। शारीरिक दूरी का पालन करते हुए लोग महाभारत व रामायण के अलग-अलग प्रसंग देख भावविभोर हो रहे हैं। कहा कि 30 वर्ष पूर्व इन धारावाहिकों में चयनित कलाकारों का कार्य काफी सराहनीय है।
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गृहिणी मोनिका देवी कहती हैं कि रामायण की कहानी परिवार की मर्यादा, आपसी स्नेह, एक दूसरे के प्रति सम्मानजनक संबोधन, बड़ों के प्रति आदर, छोटों के प्रति प्यार व जीवन में अच्छे राह पर चलने की सीख देता है।
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गृहिणी गायत्री वर्मा कहती हैं कि महाभारत सीरियल देखकर काफी अच्छा लगता है। वर्षों बाद पुन: टेलीविजन पर लॉकडाउन में पुन: देखने को मिल रहा है। ऐसे सीरियलों का पुन: प्रसारण सरकार का सराहनीय है।
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गृहिणी रतनावली देवी कहती हैं कि रामायण धारावाहिक देख मर्यादा पुरुषोत्तम राम व माता सीता चरित्र को आज के युवा पीढ़ी को अपने जीवन में अपनाना चाहिए। इन दोनों का किरदार समाज को सीख देने वाला है।
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गृहिणी जानकी देवी कहती हैं कि धार्मिक सीरियल जीवन को कठिन समय में जीवन जीने की राह दिखाते हैं और पारिवारिक, सामाजिक एकजुटता की नसीहत भी देते हैं। इसके गूढ़ बातों को जीवन में उतारना चाहिए।