पंपिग सेट से सिचाई कर फसल बचा रहे किसान
कुशीनगर में नहरों में पानी न आने से गन्ना मक्का व सब्जी की फसल की ठीक से नहीं हो पा रही सिचाई वित्तीय वर्ष के अंतिम माह में भी नहरों में नहीं आया पानी।
कुशीनगर : कहने को तो चाफ नहर व उससे जुड़े माइनरों का क्षेत्र में जाल बिछा हुआ है, लेकिन वित्तीय वर्ष 2020-21 के अंतिम सत्र मार्च में भी नहरों में पानी न आने से आर्थिक रूप से कमजोर व संसाधन विहीन किसानों की गन्ना, मक्का व सब्जियों की फसल सूख रही है। डीजल की मंहगाई से पंपिग सेट के भरोसे सिचाई महंगी हो गई है किसान किसी तरह फसल बचा रहे हैं।
28 मार्च को गंडक नहर का क्लोजर घोषित हो गया। इसके पूर्व नहरों में पानी रहना चाहिए। मगर कसया क्षेत्र में पुल बनने व बिहार सरकार द्वारा पानी की मांग न किए जाने के चलते मुख्य पश्चिमी गंडक नहर में पानी ही नहीं आया। अप्रैल के प्रथम सप्ताह में साधन संपन्न व धनी किसान पंपिग सेट के भरोसे सिचाई में जुट गए। इधर खेत में तैयार गेंहू की फसल की सुरक्षा के मद्देनजर बिजली विभाग तेज हवा के दौरान बिजली काट दे रहा है तो सरकारी नलकूप भी नहीं चल पा रहे हैं।
बरवा राजापाकड़, राजापाकड़, पगरा पड़री, पगरा प्रसाद गिरी, खुदरा अहिरौली, सपही टड़वा, दुमही, धर्मपुर पर्वत, सेमरा हर्दोपट्टी आदि के किसान फसलों की सिचाई के लिए चितित है। गिरीश सिंह, अखिलेश पांडेय, लोकनाथ सिंह, राजदेव गुप्ता, शिवदत्त मिश्र, जगदीश यादव, राणा प्रताप, विजय श्रीवास्तव आदि ने कहा कि पिछले मानसून सत्र में अत्यधिक वर्षा से फसलों की क्षति हुई। मार्च में नहरों में पानी न आने से फसल चौपट हो गई। दिन में सरकारी नलकूप नहीं चल रहे हैं। डीजल की महंगाई से किसानों पर चौतरफा मार पड़ी है।
जेई दिनेश कुमार ने बताया कि तकनीक कारण से पानी नहीं आ सका। 15 मई के बाद नहरों में पानी आने की उम्मीद है।