एक लाख परिवारों तक पहुंचाएंगे नारायणी नदी का जल
पुजारी लक्ष्मण दास ने कहा कि हिदू पंचांग के अनुसार माघ कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन लोग मौन होकर गंगा यमुना नारायणी समेत अन्य पवित्र नदियों जलाशय व कुंड में स्नान करते हैं। इस स्नान और दान का विशेष महत्व है।
जागरण संवाददाता, पनियहवा, कुशीनगर : मौनी अमावस्या पर छितौनी-बगहां रेल पुल के समीप पनियहवा घाट पर काफी संख्या में श्रद्धालु नारायणी में डुबकी लगाते हैं। यह आयोजन मां नारायणी सामाजिक कुंभ समिति द्वारा किया जाता है। कोरोना गाइडलाइन को देखते हुए आयोजन समिति ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए एक लाख परिवारों तक नारायणी का जल पहुंचाने का निर्णय लिया है। तीनबरदहां गांव स्थित पानमती मंदिर परिसर में ब्रह्मदेव तिवारी की अध्यक्षता में समिति की बैठक हुई। इसमें कुंभ में उमड़ने वाली भीड़ को नियंत्रित करने पर विचार-विमर्श किया गया। निर्णय लिया गया कि कुशीनगर, महराजगंज व पड़ोसी प्रांत बिहार के एक लाख परिवारों को पवित्र नारायणी का जल उपलब्ध कराया जाएगा।
पुजारी लक्ष्मण दास ने कहा कि हिदू पंचांग के अनुसार माघ कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन लोग मौन होकर गंगा, यमुना, नारायणी समेत अन्य पवित्र नदियों, जलाशय व कुंड में स्नान करते हैं। इस स्नान और दान का विशेष महत्व है। संयोजक मनोज कुमार पांडेय ने कहा कि कोरोना संकट को देखते हुए समिति के कार्यकर्ता 29 नवंबर से आठ फरवरी तक चरणबद्ध तरीके से लोगों के घरों व मंदिरों तक नारायणी का जल पहुचाएंगे प्रथम दिन संतों की ओर से नदी का जल व शालिग्राम अयोध्या ले जाकर प्रमुख मंदिरों में अर्पित किया जाएगा। उसके बाद जिले में वितरित किया जाएगा। इस दौरान संत बालक दास, जंगबहादुर दास, प्रवीण गुंजन, रोशनलाल भारती, शशिकांत, प्रभाकर पांडेय, मनोहर जायसवाल, जयप्रकाश सिंह, पिटू मिश्रा, सुनील यादव, विकास सिंह आदि मौजूद रहे।