कटान से भयभीत ग्रामीण कर रहे पलायन की तैयारी
20 दिन से एपी बांध के किनारे अपने कटान से तांडव मचा रही नारायणी नदी के रुख से ग्रामीण खौफजदा हैं। बेमौसम हो रही कटान से प्रभावित ग्रामीणों की नींद उड़ गई है।
कैचवर्ड - कटान पीड़ितों की व्यथा
क्रासर - बीस दिनों से नदी का कहर जारी, बांध का स्लोप निशाने पर
कुशीनगर : 20 दिन से एपी बांध के किनारे अपने कटान से तांडव मचा रही नारायणी नदी के रुख से ग्रामीण खौफजदा हैं। बेमौसम हो रही कटान से प्रभावित ग्रामीणों की नींद उड़ गई है। विभाग द्वारा बचाव कार्य शुरू नहीं किए जाने से लोग पलायन की तैयारियों में जुट गए हैं। नदी के निशाने पर मौजूदा समय में ग्राम बाघाचौर व अहिरौलीदान आ गए हैं। यहां कटान की स्थिति खतरनाक होती जा रही है। नदी कचहरी टोला के सामने बांध के किमी 14.500 पर बैक रोलिग कर कटान कर रही है। ग्राम पंचायत बाघाचौर के नोनियापट्टी के सामने किमी 12.500 का स्लोप कट गया है। यहां नदी और बांध के बीच कुछ मीटर की दूरी बच गई है। इससे बांध के कटने का खतरा मंडराने लगा है। बचाव कार्य शून्य होने से किनारे बसे गांवों के ग्रामीण दहशत में हैं और पलायन की तैयारी में जुट गए हैं। ग्राम बाघाचौर निवासी दीनानाथ सिंह ने कहा अगर उक्त जगहों में कहीं भी बांध कटा तो यूपी के पंद्रह गांवों सहित बिहार प्रांत के दर्जन भर गांव अस्तित्वविहीन हो जाएंगे और करीब डेढ़ लाख की आबादी प्रभावित होगी। नोनिया पट्टी निवासी राज नारायण सिंह ने कहा कि नदी का यह स्वरूप गत वर्ष से देखने को मिल रहा है। नदी मानसून सत्र बीतने के बाद खतरनाक हो गई है। पता नहीं कब क्या हो जाए। हीरालाल शर्मा ने कहा कि ऐसी खतरनाक स्थिति में प्रदेश सरकार की उपेक्षा व विभागीय उदासीनता साबित करती है कि जनप्रतिनिधियों व नौकरशाहों को आमजन के जानमाल की सुरक्षा की चिता नहीं। अगर समय रहते बचाव कार्य नहीं हुआ तो व्यापक क्षति होगी। रामानंद भारती ने कहा कि बांध ही सहारा बचा था, अब पलायन के सिवाय कोई विकल्प नहीं है। अधिशासी अभियंता भरत राम ने कहा है कि कटान की जानकारी है। कटान वाले स्थानों पर काम कराने के लिए परियोजना बना कर शासन को भेजा गया है। शासन से जैसे ही परियोजना स्वीकृत हो जाएगा, बचाव कार्य शुरू करा दिया जाएगा।