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महामारी से बचाव के लिए लोगों को करें जागरूक : विधायक

कुशीनगर के फाजिलनगर में विधायक गंगा सिंह कुशवाहा ने कहा कि आमजन के स्वास्थ्य को लेकर सरकार पूरी तरह से है संजीदा कोरोना के अलावा अन्य संक्रामक बीमारियों को लेकर भी जागरूकता जरूरत है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 11 Jun 2021 01:00 AM (IST)Updated: Fri, 11 Jun 2021 01:00 AM (IST)
महामारी से बचाव के लिए लोगों को करें जागरूक : विधायक
महामारी से बचाव के लिए लोगों को करें जागरूक : विधायक

कुशीनगर : कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सभी गांवों में दवा का वितरण कराया जा रहा है। आशा कार्यकर्ता पाजिटिव लोगों तक दवा पहुंचा रही हैं। निगरानी समिति में शामिल लोग महामारी से बचाव के लिए लोगों को जागरूक करें।

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यह बातें विधायक गंगा सिंह कुशवाहा ने कहीं। वह गुरुवार को फाजिलनगर सीएचसी में नरायनपुर गांव की निगरानी समिति को 19 कोविड किट सौंपने के बाद आशा कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण काल में सरकार आमजन के स्वास्थ्य की चिता कर रही है। होम आइसोलेशन में रह रहे पाजिटिव लोगों तक दवा पहुंचाई जा रही है। अधीक्षक डा. एएन ठाकुर ने कहा कि कोरोना के अलावा अन्य संक्रामक बीमारियों के प्रति भी लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए। लोगों को स्वस्थ रखना हम सभी की जिम्मेदारी है। सभी लोग अपने दायित्वों का ठीक से निर्वहन करें, ताकि महामारी का खात्मा हो सके।

मधुमेह पीड़ितों को ब्लैक फंगस का खतरा अधिक

म्यूको-माइकोसिस (ब्लैक फंगस) नया नहीं है। स्टेरायड्स के गैर आनुपातिक उपयोग, लंबे समय तक आइसीयू में रहना और गंदगी ने रोगियों को मुश्किल में डाल दिया है। ब्लैक फंगस का अधिक जोखिम उन लोगों को है जो अनियंत्रित मधुमेह के साथ कमजोर इम्यूनिटी की समस्या से पीड़ित हैं।

यह बातें कप्तानगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक डा. रूपेश कुशवाहा ने कहीं। उन्होंने कहा कि चेहरे का आकार बदलना, त्वचा पर काली पपड़ी बनना, आंशिक पक्षाघात, सूजन, लगातार सिरदर्द और जबड़े की हड्डी का नुकसान ब्लैक फंगस के लक्षण हैं। इसमें सबसे ज्यादा दर्द आंखों में होता है। नाक और मुंह के रास्ते ब्लैक फंगस आंखों तक पहुंचता है। संक्रमित होने पर आंखों का दोबारा प्रत्यारोपण भी संभव नहीं है। कोविड रोगियों को खासतौर पर पहले छह सप्ताह में सावधान रहने की जरूरत है। दांतों की समस्या से पीड़ित लोगों को बेहद सावधानी बरतनी चाहिए। इससे बचाव के लिए ब्लड शुगर पर पूरा नियंत्रण, स्टेरायड का उचित, तर्कसंगत और विवेकपूर्ण प्रयोग, आक्सीजन ट्यूबिग का बार-बार बदला जाना और प्रयोग की गई आक्सीजन ट्यूब का दोबारा इस्तेमाल न किया जाए।


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