कुशीनगर में बुद्ध पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर की विशेष पूजा
कुशीनगर में बुद्ध पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर बौद्ध भिक्षुओं ने विश्व शांति एवं कोरोना की समाप्ति के लिए पूजा-अर्चना की।
कुशीनगर: बुद्धनगरी में 2565 वीं बुद्ध पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर मंगलवार की शाम बौद्ध भिक्षुओं ने कोरोना प्रोटोकाल का अनुपालन करते हुए महापरिनिर्वाण मंदिर में विश्व शांति और कोरोना से मुक्ति के लिए रतन सुत्त का पाठ किया।
कोरोना के संक्रमण को देखते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने बुद्ध मंदिर (स्मारक) को 31 मई तक बंद कर दिया है। भिक्षु संघ की आग्रह पर बुद्ध पूर्णिमा को देखते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने सीमित संख्या में भिक्षुओं को प्रतीकात्मक पूजा करने की अनुमति प्रदान की है। उसी क्रम में म्यांमार बुद्ध मंदिर के प्रभारी भंते नंदका के नेतृत्व में विशेष पूजा की गई।भिक्षुओं ने तथागत की लेटी प्रतिमा पर चीवर भी चढ़ाया। कुशीनगर के संरक्षण सहायक शादाब खान की देखरेख में पूजा हुई। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट पूर्ण बोरा ने कहा कि बौद्ध धर्म करुणा, मैत्री व शांति का संदेश देता है। बुद्ध के सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं, उनके अनुपालन से विश्व में शांति स्थापित की जा सकती है। बुधवार को भी बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर सीमित संख्या में बौद्ध भिक्षु प्रतीकात्मक पूजा करेंगे। भंते महेंद्र, भंते डा. नंद रतन, भंते अशोक, भंते सागर विशेष पूजा में शामिल रहे।
बुद्ध के रत्नसुत्त पाठ से कोरोना को हराने को अनुष्ठान
कोरोना के खिलाफ सरकार, संस्थाएं व लोग हर तरह से जंग लड़ रहे हैं। कोरोना के नाश के लिए बौद्ध धर्म के अनुयायी बुद्ध जयंती के पावन अवसर पर भगवान बुद्ध की महापिरनिर्वाण स्थली कुशीनगर में रत्नसुत्त का पाठ करेंगे। इसका बौद्ध धर्म में विशेष महत्व है। जातक कथाओं के अनुसार अतीत में आई भयंकर महामारी के समय बुद्ध ने खुद इसका पाठ किया था और महामारी रुक गई थी।
त्रिविध पावन जयंती के अवसर पर म्यांमार, श्रीलंका, थाईलैंड आदि देशों सहित भारतीय बौद्ध भिक्षु व उपासक अपने बौद्ध विहारों में महामारी के खात्मे की कामना के साथ विधिविधान से इसका पाठ करेंगे। बुद्ध वंदना की जाएगी। इस दौरान कोरोना गाइड लाइन का पूरी तरह से पालन किया जाएगा। शारीरिक दूरी के साथ मास्क अनिवार्य रहेगा।
अध्यक्ष कुशीनगर भिक्षु संघ भंते ज्ञानेश्वर ने कहा कि रत्नसुत्त पाठ का बौद्ध धर्म में अति महत्व है। यह अति प्रभावकारी व फलदायी है। इसके पाठ से दुखों का शमन होता है, रोग दूर होते हैं। सुख-शांति कायम होती है। कोरोना के नाश के लिए इसका पाठ बुद्ध जयंती के पवित्र अवसर पर किया जाएगा।
श्रीलंका बुद्ध विहार के अस्स जी थेरो ने कहा कि कोरोना महामारी के चलते इस बार बुद्ध जयंती का आयोजन बुद्ध विहारों में कोविड प्रोटोकाल के तहत ही होगा। इस अवसर पर कोरोना की समाप्ति के लिए रत्नसुत्त पाठ भी किया जाएगा ताकि पूरी दुनिया को इससे राहत मिल सके।
भंते महेंद्र ने कहा कि इस पाठ का बौद्ध धर्म में अलग महत्व है। यह अत्यंत प्रभावकारी मंत्र है। महामारी को रोकने के लिए भगवान बुद्ध ने स्वयं इसका पाठ किया था और महामारी का नाश हुआ था। पाठ करने से कोरोना का भी नाश होगा।
भंते अशोक ने कहा कि बौद्ध धर्म में रत्तनसूत्त पाठ का विशेष महत्व है। इसके पाठ से सब मंगल होता है।आपदाओं का नाश होता है और शांति-खुशहाली कायम होती है। कोरोना के नाश के लिए बुद्ध जयंती के पवित्र अवसर पर इसका पाठ किया जाएगा।