कुशीनगर में डाक्टर नदारद, फार्मासिस्ट कर रहे थे इलाज
कुशीनगर के हाटा क्षेत्र के भैंसहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर आवास जर्जर होने से रात में नहीं रहते कर्मचारी।
कुशीनगर: शासन के लाख प्रयास के बावजूद ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। डाक्टरों व कर्मचारियों की लेटलतीफी व मनमानी का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। कुछ ऐसी ही स्थिति गुरुवार को हाटा तहसील क्षेत्र के भैंसही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में देखने को मिली।
दोपहर 12 बजे जागरण टीम ने अस्पताल की पड़ताल की तो डाक्टर की कुर्सी खाली थी। फार्मासिस्ट अजय सिंह मरीजों का इलाज कर रहे थे। कुछ मरीज और आशा कार्यकर्ता डाक्टर के इंतजार में बैठे थे, जबकि अस्पताल खुलने का समय सुबह नौ बजे है। पीएचसी में डा. हिमांशु, फार्मासिस्ट अजय सिंह, एएनएम सरिता, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी राधेश्याम, अलाउद्दीन व लैब असिस्टेंट शक्ति सिंह की तैनाती है। अस्पताल में केवल फार्मासिस्ट अजय व स्वीपर राधेश्याम ही मौजूद थे।
मरीज निशा सिंह, प्रीति, प्रियंका, सीमा, पल्लवी, दिव्या, रामबालिका सिंह, सीमा आदि ने बताया कि चिकित्सक के न रहने पर फार्मासिस्ट ही मरीजों को देख रहे हैं। प्रत्येक माह की 21 तारीख को सरकारी अस्पतालों में खुशहाल दिवस मनाए जाने का शासन का आदेश है। इस दौरान चिकित्सक व एएनएम की ओर से महिलाओं व पुरुषों को परिवार नियोजन की जानकारी देना होता है। डाक्टर व एएनएम के न होने की वजह से भैसही गांव की आशा कार्यकर्ता फूलपति, जमुआन की रुक्मिणी व रीना, मरीज अनीता, हैप्पी, मनीषा, नेहा, प्रीति आदि वापस चली गईं। अस्पताल परिसर में लगा इंडिया मार्क हैंडपंप खराब पड़ा है। पानी की टंकी भी जर्जर हालत में है। कर्मचारियों को पीने का पानी घर से लाना पड़ता है। उनके आवास भी जर्जर हो चुके हैं। प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. एलएस सिंह ने कहा कि चिकित्सक व एएनएम के न रहने की जांच कराई जाएगी।