कुशीनगर में जल संरक्षण के साथ पशु-पक्षियों को भी ठिकाना
कुशीनगर के सुखसवलिया गांव निवासी राजेश्वर पाठक 10 एकड़ में चार पोखरे खोदवा कर संरक्षित कर रहे हैं पानी।
कुशीनगर: नगर के समीप सुखसवलिया गांव निवासी राजेश्वर पाठक करीब दो दशक से न सिर्फ जल संरक्षण कर रहे हैं बल्कि पशु-पक्षियों को भी आसरा दे रखा है। उन्होंने बड़हरागंज रेलवे स्टेशन और पडरौना-रामकोला मार्ग के निकट करीब डेढ़ सौ एकड़ क्षेत्र में फैले खजुआ ताल के पास स्थित अपनी 10 एकड़ निजी भूमि में चार तालाब खोदवा कर बेजुबानों के लिए पानी की व्यवस्था की है। चारों ओर से जंगली घास से घिरे ये तालाब पशु-पक्षियों का सुरक्षित ठिकाना भी बन गए हैं।
राजेश्वर वर्ष 1979 में स्नातक करने के बाद देहरादून में एक निजी कंपनी में नौकरी कर रहे थे। देहरादून में ही स्थित फारेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट से इन्हें पर्यावरण संरक्षण की प्रेरणा मिली। वर्ष 1998 में गांव में चार बड़े पोखरों की खोदाई कराकर मछली पालन शुरू किया तो ताल की भी सुरक्षा बढ़ गई। जाड़े में इस ताल में साइबेरियन पक्षियों का बसेरा रहता है, लेकिन शिकारियों की वजह से इनका ठहराव नहीं होता था। गर्मी के दिनों में पानी सूख भी जाता था। पोखरों पर तैनात चौकीदार ताल की भी सुरक्षा करते हैं, इसलिए विदेशी पक्षियों को भी सुरक्षा मिलने लगी तो उनका ठहरा भी लंबे समय तक होने लगा। ताल की झाड़ियों में दो सौ से अधिक नीलगाय, दर्जनों अजगर समेत कई प्रजातियों के सांप भी हैं।
बचपन से ही था प्रकृति से लगाव
राजेश्वर कहते हैं कि उनको बचपन से ही प्रकृति से लगाव था। देहरादून के फारेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट में कार्यरत मित्रों की प्रेरणा से उनकी सोच फलीभूत हो गई। भविष्य में जल संरक्षण के साथ ही जीव संरक्षण को वृहद रूप देने की तैयारी है।