नदी की लहरों पर कब तक रहेगी जिदगी
ग्रामीणों का आरोप पुल निर्माण को नहीं हुई गंभीर पहल पुल के अभाव में एक दर्जन लोगों की हो चुकी है मौत
कुशीनगर: दुदही विकास खंड के बांसगांव के टोला खैरवा व बैरिया के किसानों की सैकड़ों एकड़ खेती बांसी नदी के उस पार है। कृषि कार्य के लिए नदी उस पार जाना किसानों की मजबूरी है। नदी की लहरों पर नाव पर सवार होकर उस पार जाना व शाम होते ही घर लौटना लोगों की दिनचर्या में शामिल है। इस कठिन सफर में अब तक दर्जनों किसान नदी में डूब जान गंवा चुके हैं। इस इलाके के लोग कई बार प्रशासन से पुल निर्माण की गुहार लगा चुके हैं। इन टोलों की आबादी लगभग सात हजार है। 60 फीसद लोगों की आजीविका का साधन पशुपालन व मजदूरी है। चारा लाने व खेतों में कार्य करने के लिए बांसी नदी को पार करना पड़ता है। कब नाव डूब जाए किसी को पता नहीं होता। प्रतिवर्ष डूबने से दो-तीन लोगों की मौत होती है। बीते दो जुलाई 2018 से ग्रामीणों ने क्रमिक अनशन किया तो तत्कालीन डीएम आंद्रा वामसी ने यहां पक्का पुल बनवाने का आश्वासन दिया था। लोगों का सवाल है कि आखिर कब तक नदी की लहरों पर जिदगी की दांव लगायी जाती रहेगी।
पूर्व प्रधान रामेश्वर प्रसाद गोंड, व्यास मुन्ना, प्रभु भारती, सुरेंद्र यादव, आलिम, कांता राय, वीरेश गुप्ता, लल्लन यादव, रामाशीष साह आदि ने कहा की पुल नहीं बना तो आरपार का संघर्ष होगा।
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इनकी हो चुकी है डूबने से मौत
-बीते 12 जून 2006 को राहुल कुमार बांसगांव, आठ अगस्त 2006 को सुकट महजीदिया टोला, 13 जुलाई 2007 को महादेव जटवलिया, एक सितंबर 2007 जटवलिया के कासिम, 11 जून 2008 को खैरवां के चंदन, 28 जुलाई 2008 के मिश्रौली के गोलू, सात जुलाई 2013 को खैरवां के लालदेव, 25 जुलाई 2014 को कोकिलपट्टी के मोती की बांसी नदी में डूबने से मौत हो चुकी है।
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बांसी नदी के खैरवा घाट पर पक्का पुल निर्माण के लिए शासन को पत्र भेजा गया है। धन अवमुक्त होते ही पुल का निर्माण शुरू करा दिया जाएगा।
डॉ. अनिल कुमार सिंह, जिलाधिकारी।