कुशीनगर में मरीजों की मदद को बढ़न लगे हाथ
कुशीनगर में सामाजिक कार्यकर्ता राकेश जायसवाल ने दी खाद्य सामग्री प्रतिदिन दो हजार से अधिक लोगों को यहां मिलता है भोजन।
कुशीनगर : जिला संयुक्त अस्पताल में मरीजों को निश्शुल्क भोजन व अन्य सुविधाएं दे रहे सामाजिक कार्यकर्ता अंशुमान बंका की मदद को अब और भी हाथ बढ़ने लगे हैं। शनिवार को सामाजिक कार्यकर्ता राकेश जायसवाल एवं युवा कार्यकर्ता सुमित वर्मा आगे आए। एक क्विंटल चावल, 50 किलो आटा, 30 लीटर तेल, सब्जी सहित अन्य सामान देकर सहयोग किया। इस दौरान सुमित त्रिपाठी , ब्रजेश पांडेय, सुमित जायसवाल आदि उपस्थित रहे। मदद देने के बाद राकेश ने कहा कि इस आपदा काल में यह बड़ा और पुनीत कार्य किया जा रहा है। इसमें सहयोग कर खुद को धन्य करने जैसा है। हर सक्षम व्यक्ति को मदद करनी चाहिए।
हौसले से दी कोरोना को मौत
किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए धैर्य और साहस जरूरी है। सोच सकारात्मक हो तो लड़ाई आसान हो जाती है। कोरोना काल में नगर में ढेर सारे लोग ऐसे हैं, जिन्होंने संक्रमण के दौर में हौसला बनाए रखा और कम समय में स्वस्थ हो गए। आज उनका हौसला दूसरों के लिए प्रेरणास्त्रोत बना है।
उप-जिलाधिकारी हाटा प्रमोद कुमार तिवारी ने बताया कि 15 जनवरी को वे कोरोना संक्रमित हो गए थे। कहा कि संक्रमण की पुष्टि होने पर मैंने सबसे पहले संपर्क में आए लोगों को जांच कराने तथा जरूरी एहतियात बरतने को कहा। डाक्टर से परामर्श कर होम आइसोलेट हो गया। आक्सीजन स्तर बनाए रखने के लिए फेफड़े से संबंधित व्यायाम करता रहा। नियमित भाप, काढ़ा, गरारा, सैनिटाइजेशन, साफ सफाई के साथ चिकित्सक की सलाह पर दवाइयां लीं और 12 दिन बाद स्वस्थ होकर पुन: काम पर लौट आया। लक्षण दिखने पर मातहतों को भी कुछ दिनों तक होम आइसोलेट रहने को कहा। उपजिलाधिकारी ने आमजन से आह्वान किया है कि कोरोना होने पर घबराएं नहीं, 70 फीसद मौतें सिर्फ डर से हो रहीं हैं। मन को मजबूत रखें कोरोना जरूर हारेगा। बचाव के लिए अधिक से अधिक लोग टीकाकरण कराएं।
सीएचसी देवतहां में फार्मासिस्ट पद पर तैनात संजीव सिंह ने बताया कि एक अप्रैल को बुखार हुआ। तुरंत कोविड 19 की जांच कराई तो रिपोर्ट पाजिटिव आ गई। आक्सीजन स्तर कम न होने पाए इसके लिए अनुलोम, विलोम जल्दी जल्दी सांस लेने सहित फेफेड़े से संबंधित एक्सरसाइज करता रहा। इससे आक्सीजन का स्तर कम नहीं हुआ। सुबह शाम योग तथा गीता व रामायण पाठ को दिनचर्या का हिस्सा बना लिया इसने कोरोना के खिलाफ जंग को आसान कर दिया। मन पर कभी महामारी का डर हावी नहीं होने दिया। इसका नतीजा रहा कि कभी कोई परेशानी नहीं हुई। कोरोना की पुष्टि होने पर घबराएं नहीं। कोरोना को हराने के लिए आत्मबल जरूरी है। बिना घबराए डाक्टर की सलाह पर अमल करता रहा और 14 दिनों में संक्रमण को मात दे दी। उसके बाद ड्यूटी पर आ गया। अब फिर से कोविड मरीजों की नियमित रूप से जांच कर रहा हूं।